96वीं काव्यगोष्ठीः ‘जिंदगी जल गयी खेत-खलिहान में, रोटियों के लिए दम लगाता रहा।‘

टीम भारत दीप |

डॉ० आनंद प्रकाश शाक्य आनंद ने महात्मा गांधी की स्मृति में कविता पढ़ी।
डॉ० आनंद प्रकाश शाक्य आनंद ने महात्मा गांधी की स्मृति में कविता पढ़ी।

यह काव्यगोष्ठी मैनपुरी के कवि रामशंकर त्रिपाठी ‘शलभ‘ की स्मृति में आयोजित की गई। हर माह यह गोष्ठी किसी न किसी कवि एवं साहित्यकार के जन्म दिवस और स्मृति के उपलक्ष्य में आयोजित की जाती है।

मैनपुरी। मैनपुरी स्थित होली पब्लिक स्कूल में शनिवार 30 जनवरी को मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। हर माह की 30 तारीख को होने वाली इस काव्य गोष्ठी का यह 96 वां माह का कार्यक्रम रहा। इस प्रकार गोष्ठी ने अविरत अपने प्रवाह के आठ वर्ष पूरे कर लिए। 

96 वां माह की यह काव्यगोष्ठी मैनपुरी के कवि रामशंकर त्रिपाठी ‘शलभ‘ की स्मृति में आयोजित की गई। हर माह यह गोष्ठी किसी न किसी कवि एवं साहित्यकार के जन्म दिवस और स्मृति के उपलक्ष्य में आयोजित की जाती है। 

साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्र ने रामशंकर त्रिपाठी शलभ के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि रामशंकर त्रिपाठी शलभ का जन्म बेवर के पास ग्राम रसूलाबाद में हुआ था। 1940 में उन्होने मंदाकिनी नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन बेवर से किया। उनकी प्रसिद्ध कृति ‘गीले गीत‘ थी। 

काव्यगोष्ठी में बेवर से आए कवि सन्देश चैहान ने कहा कि ‘कहीं टूटकर बिखर गया है और कहीं पर दंगा है। कैसे कह दूं अपने मुंह से साहब यही तिरंगा है। डॉ० मनोज सक्सेना ने पढ़ा कि ‘प्रेम जब पूर्णिमा का चाँद बने, मेरा अन्तस भी आफताब बने।‘ 

बिजेन्द्र सिंह सरल ने पढ़ा कि ‘आते हैं धरा पै धीर, परहित में शरीर, समझें सभी की पीर, अपना लगाते हैं।‘ कृष्ण बहादुर उपाध्याय ने कहा ‘ ना उम्मीद दर्शक अब निराशा ही निराशा है। तमाशों में किरदार नहीं किरदारों में तमाशा है।‘ 

श्री चन्द्र सरगम् ने ‘आज अपने आंसुओं से जिंदगी की कहानी लिख रहा हूं। कौन सच्चा साथी उसी के नाम अपनी रवानी लिख रहा हूं।‘ पंक्तियां पढ़ीं। कवि संजय दुबे ने पढ़ा कि ‘मंदिर, मस्जिद और मठों ने। बाकी करतब किया नटों ने।‘ 

डॉ० आनंद प्रकाश शाक्य आनंद ने महात्मा गांधी की स्मृति में कविता पढ़ी। धर्मेंद्र सिंह धरम ने पढ़ा कि ‘जिंदगी जल गयी खेत-खलिहान में, रोटियों के लिए दम लगाता रहा।‘ वासुदेव मिश्र लालबत्ती ने पढ़ा कि भारत के पुनः विभाजन का षड़यंत्र नहीं चलने देंगे, आतंकवाद की जड़ें यहां अब और नहीं फलने देंगे।  

श्रीचन्द्र वर्मा भोगांव ने कहा कि माता पिता गुरू ज्ञान की खान हैं, मानकी आन सदा रखिए। संकल्प दुबे ने पढ़ा कि बलिदानी गुरूओं के पुत्रो! यह क्या धर्म निभाया, शीशगंज के सामने तुमने देश का शीश झुकाया। 
 
काव्यगोष्ठी में कवि सतीश दुबे एडवोकेट, राम प्रकाश पाण्डेय, शिवदत्त दुबे, यश कुमार मिश्रा, श्रीकृष्ण मिश्र, आदि ने भी काव्य पाठ किया। काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य सत्यसेवक मिश्र ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दर्शनलाल राठौर एडवोकेट थे। विशिष्ट अतिथि श्रीकृष्ण मौर्य एडवोकेट रहे। अंत में काव्यगोष्ठी का संचालन कर रहे और संयोजक विनोद माहेश्वरी ने सभी को धन्यवाद दिया। 

अभय शर्मा, डॉ० अनुराग दुबे, ज्ञानेन्द्र दीक्षित, संजीव शर्मा, विद्यासागर शर्मा, मौजीराम आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 


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