किसान आन्दोलन: एक और किसान ने यूं समाप्त कर ली अपनी जीवन लीला, कह गया ये बातें

टीम भारत दीप |

तीनों कृषि कानून सरकार वापस ले और किसानों को खुशी-खुशी घर भेज दे।
तीनों कृषि कानून सरकार वापस ले और किसानों को खुशी-खुशी घर भेज दे।

रविवार सुबह आंदोलन में शामिल एक किसान ने सुसाइड कर लिया है। 55 वर्षीय किसान ने टिकरी-बहादुरगढ़ सीमा पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक किसान की पहचान हिसार जिले के राजबीर सिंह के तौर पर हुई है। फांसी लगाने से पहले राजबीर ने एक सुसाइट नोट लिखा जिसमें सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की अपील की।

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आन्दोलन जारी है। आन्दोलन के सौ दिनों से अधिक का समय बीत चुका है। पर अभी तक इस आन्दोलन की समाप्ति के कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। इस बीच एक दुखद खबर सामने आई है। दरअसल एक और किसान ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

वहीं किसान द्वारा लिखे  सुसाइड नोट में सरकार से तीनों कृषि कानूनों वापस लेने की अपील की गई है। जानकारी के मुताबिक रविवार सुबह आंदोलन में शामिल एक किसान ने सुसाइड कर लिया है। बताया गया कि 55 वर्षीय किसान ने टिकरी-बहादुरगढ़ सीमा पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

मृतक किसान की पहचान हिसार जिले के राजबीर सिंह के तौर पर हुई है। बताया गया कि फांसी लगाने से पहले  राजबीर ने एक सुसाइट नोट लिखा जिसमें सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की अपील की। बताया गया कि राजबीर ने सुसाइड नोट में लिखा है कि सरकार से मेरी हाथ जोड़कर विनती है।

मरने वाले की आखिरी इच्छा पूरी की जाती है। मेरी आखिरी इच्छा है कि ये तीनों कृषि कानून सरकार वापस ले और किसानों को खुशी-खुशी घर भेज दे। राजबीर ने सुसाइट में आगे लिखा है कि किसान भाइयों मेरा बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। तीनों काले कानून सरकार को वापस कराके ही घर जाएं।

सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले और किसानों को एमएसपी की गारंटी दे। बताते चलें कि इससे पूर्व शनिवार को टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन में भाग ले रहे किसान जनक सिंह (70) की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। जनक सिंह लंबे समय से आंदोलन में शामिल हो रहे थे।

उनके बेटे सुखविंदर सिंह के मुताबिक उनके पिता लगातार आंदोलन में भाग ले रहे थे। वहां अचानक ही उनकी तबीयत बिगड़ गई। लेकिन उनके पिता ने किसानी हितों के लिए शहादत दी है जिस पर सभी को गर्व रहेगा।

बताया जाता है कि अब तक करीब 150 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है।
 


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