लखनऊ: पांच फीसदी ने नहीं लगवाई वैक्सीन तो रूका सब​का वेतन, डॉक्टरों ने जताई नाराजगी

टीम भारत दीप |

डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत भी दर्ज कराई है।
डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत भी दर्ज कराई है।

एशिया के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में शुमार यूपी की राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में कोरोना वैक्सीन न लगाने वाले कुछ डाक्टरों व कर्मचारियों की वजह से सबका वेतन फंस गया है। कुलपति ने सभी डॉक्टर—कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया है।

लखनऊ। यूपी में कोरोना को लेकर गर्मजोशी से चल रहे टीकाकरण अभियान के बीच डाक्टर्स काफी नाराज है।

उनकी नाराजगी भी यूं ही नहीं है, दरअसल वह अपने वेतन को रोके जाने को लेकर नाराज है। दरअसल एशिया के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में शुमार यूपी की राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में कोरोना वैक्सीन न लगाने वाले कुछ डाक्टरों व कर्मचारियों की वजह से सबका वेतन फंस गया है।

कुलपति ने सभी डॉक्टर—कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया है। जिसके बाद किसी भी डॉक्टर,रेजिडेंट डॉक्टर और कर्मचारियों का वेतन जारी नहीं किया गया है। जिस कारण डॉक्टर—कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। जानकारी के मुताबिक केजीएमयू में करीब 550 डॉक्टर तैनात हैं। 1200 रेजिडेंटर डॉक्टर काम कर रहे हैं।

वहीं करीब 2750 नियमित पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य श्रेणी के कर्मचारी तैनात हैं। नियमित डॉक्टर—कर्मचारियों का वेतन माह की पहली तारीख को खाते में आ जाता है। इस बार तीन तारीख बीतने के बाद भी जुलाई का वेतन किसी के खाते में नहीं आया। जब जानकारी जुटानी शुरू की गई तो पता चला कुलपति ने सभी का वेतन रोकने के निर्देश दिए हैं।

वेतन न मिलने से डॉक्टर—कर्मचारी परेशान हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सभी पर कार्रवाई करना ठीक नहीं है। उधर संस्थान के कुलपति डॉ. बिपिन पुरी के मुताबिक तीसरी लहर की आशंका है। अभी भी पांच से सात फीसदी नियमित डॉक्टर—कर्मचारियों ने वैक्सीन नहीं लगवाई है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। बताया गया कि परिसर में रोज टीकाकरण हो रहा है।

ऐसे में डॉक्टर—कर्मचारी लापरवाही बरतते हुए हिदायत के बाद भी वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। उधर डॉक्टर—कर्मचारियों का गुस्सा भी भड़क उठा है। इस बाबत डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत भी दर्ज कराई है। उनके मुताबिक कुछ लोगों की गलती की सजा सभी को देना उचित नहीं है।
 


संबंधित खबरें