खोया जनाधार पाने को मायावती ने फिर खेला दांव, यूपी संगठन की ओवरहाॅलिंग

टीम भारत दीप |

बसपा को अपना खोए जनाधार को बचाने की चुनौती है।
बसपा को अपना खोए जनाधार को बचाने की चुनौती है।

यूपी के पूर्वांचल में मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, आदि जिलों में राजभर जाति निर्णायक भूमिका में रहती है। दलित अभी भी मायावती के साथ है, लेकिन अन्य जातियों में भाजपा ने सेंधमारी कर रखी है।

लखनऊ। हाल ही में सम्पन्न हुए यूपी विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार से सकते में आई बसपा सुप्रीमों मायावती ने संगठन को फिर से मजबूती देने को लेकर नई रणनीति तैयार की है। वहीं अपना खोया जनाधार वापस पाने की रणनीति के तहत एक बार फिर नया दांव चला है।

कहा तो यहां तक जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मिषन-2022 को लेकर यूपी संगठन के ओवरहाॅलिंग भी कर सकती है। बहरहाल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने रविवार को संगठन में बड़ा फेरबदल किया है। उन्होंने मऊ जिले के रहने वाले आजमगढ़ मंडल के कोऑर्डिनेटर भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।

इसे बसपा की राजभर वोट को अपने पाले में लाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। भीम राजभर, पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली की जगह लेंगे। दरअसल, यूपी के पूर्वांचल में मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, आदि जिलों में राजभर जाति निर्णायक भूमिका में रहती है। दलित अभी भी मायावती के साथ है, लेकिन अन्य जातियों में भाजपा ने सेंधमारी कर रखी है।

इसका असर 2014 से लेकर अब तक हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव में साफ देखने को मिला है। ऐसे में बसपा को अपना खोए जनाधार को बचाने की चुनौती है। मुस्लिम भी मायावती से छटकते नजर आ रहे हैं। मुनकाद अली पर मुस्लिम वोटरों को बसपा के पक्ष में बनाए रखने में असफल होने के भी आरोप लगते रहे। षायद यही वजह है कि मायावती अब पिछड़ा वर्ग का दांव खेल रही हैं। सियासी पंडितों की माने तो यह फेरबदल यूपी में हुए उपचुनाव की हार पर की गई कार्यवाही मानी जा सकती है। क्योंकि उपचुनाव में बसपा का परफाॅरमेंस काफी खराब रहा और वह इस उपचुनाव में चैथे नंबर पर रही।

वहीं, बसपा प्रमुख ने यूपी के राज्यसभा चुनाव में सपा के द्वारा जो निर्दलीय प्रत्याशी उतारा और इसके बाद मायावती ने बयान दिया कि सपा को हराने के लिए वह भाजपा का भी समर्थन कर सकती हैं। इस बयान से उन्हें खासा नुकसान बताया जा रहा है और बयान के बाद मुस्लिम बसपा से नहीं जुड़ेगा, इसको देखते हुए जो वर्ग बसपा के साथ आ सकता है उस जाति के नेता को जिम्मेदारी देते हुए अति पिछड़ा वर्ग के भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इससे पहले बसपा प्रमुख ने बीते सिंतबर माह 2020 में यूपी प्रदेश अध्यक्ष से हटाए गए पूर्व सांसद मुनकाद अली को उत्तराखंड प्रभारी के पद मुक्त किया था। मुनकाद अली ने अलीगढ़ आगरा मंडल के सेक्टर से बदलकर अब पूर्वांचल के चार मंडलों की जिम्मेदारी अपने को मिलने का बात मानी है।

सूत्रों के मुताबिक आगरा अलीगढ़ मंडल के सेक्टर पर नौशाद अली को मुनकाद अली की जगह लगाया गया हैं, वह गोरेलाल जाटव के साथ संगठन का काम रहे हैं। वहीं सितंबर 2019 में बनाए गए प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली के अब बसपा छोड़ने की भी चर्चा पार्टी में चल रही है। यूपी में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा के मुस्लिम विधायकों के द्वारा किए गए बगावत को न रोक पाना इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है। मुनकाद अली लगातार पार्टी में मुस्लिम को जोड़ पाने में असफल दिखाए दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मुनकाद अली बसपा पार्टी छोड़कर भीम आर्मी या सपा पार्टी जॉइन कर सकते हैं।

इन्ही खबरों के बीच अब देवरिया में बसपा को एक और झटका लगा है। यहां उप चुनाव में उम्मीदवार रहे अभयनाथ त्रिपाठी ने बसपा से त्यागपत्र दे दिया है और पार्टी के कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अभयनाथ त्रिपाठी के मुताबिक उन्होंने पार्टी की गलत नीतियों के चलते इस्तीफा दिया है। उन्होंने पार्टी के कोआर्डिनेटरों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई है। अब केवल परिवारवाद व निजी स्वार्थ पर काम हो रहा है। जनता भविष्य में इसका जवाब देगी।


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