नवरात्र का तीसरा दिन: मां चन्द्रघंटा की ऐसा करें पूजा, हर भय से मिलेगी मुक्ति

टीम भारत दीप |

यह हर प्रकार के भय से मुक्ति व साहस प्रदान करने वाला होता है।
यह हर प्रकार के भय से मुक्ति व साहस प्रदान करने वाला होता है।

देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र नजर आता है। यही वजह है कि माता के भक्त उन्हें चन्द्रघंटा कहकर बुलाते हैं। देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है।

धर्म डेस्क। नवरात्र उत्सव की धूम चहुंओर है। मां के दर्शन को मंदिरों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। हालांकि कोविड-19 के कारण नियमों के तहत ही श्रद्धालुओं को मां के दर्शन मिल रहे हैं। आज नवरात्र का तीसरा दिन है। तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा की पूजा-अर्जना की जाती है। 

आज श्रद्धालुओं ने मां के तीसरे स्वरूप मां चन्द्रघंटा की पूजा अर्चन कर मां से आर्शीवाद मांगा। ऐसा कहा गया है कि देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र नजर आता है। यही वजह है कि माता के भक्त उन्हें चन्द्रघंटा कहकर बुलाते हैं। देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। 

मां की 10 भुजाएं, 3 आंखें, 8 हाथों में खड्ग, बाण आदि अस्त्र-शस्त्र हैं। इसके अलावा देवी मां अपने दो हाथों से अपने भक्तों को आशीष देती हैं। नवरात्र के तीसरे दिन के महत्व के बारे में लखनऊ के पुरोहित दिलीप पाण्डेय बताते हैं कि यह हर प्रकार के भय से मुक्ति व साहस प्रदान करने वाला होता है। 

शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि यदि आपके मन में किसी तरह का कोई भय बना रहता है तो आप मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का पूजन करें। नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है। मां के चंद्रघंटा स्वरुप की मुद्रा युद्ध-मुद्रा है। 

ज्योतिष शास्त्र में मां चंद्रघंटा का संबंध मंगल ग्रह से माना जाता है। पूजन विधि का जिक्र करते हुए पुरोहित जी बताते हैं कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन के साथ घर में भी शांति आती है और व्यक्ति के परिवार का कल्याण होता है। मां की पूजा करते समय उनको लाल फूल अर्पित करें। इसके साथ मां को लाल सेब और गुड़ भी चढाएं। 

शत्रुओं पर विजय पाने के लिए मां की पूजा करते समय घंटा बजाकर उनकी पूजा करें। इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने से बड़े से बड़े दुख से मुक्ति मिल जाती है। देवी पूजन के विषय में बताते हुए पुरोहित जी कहते है कि तुलसी पत्ती न चढ़ाएं, माता की तस्वीर या मूर्ति में शेर दहाड़ता हुआ नहीं होना चाहिए, देवी पर दूर्वा नहीं चढ़ाएं, जवारे बोए हैं और अखंड ज्योति जलाई है तो घर खाली न छोड़ें। 

मूर्ति या तस्वीर के बाएं तरफ दीपक रखें। पुरोहित जी बताते हैं कि देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। 

इसके अलावा मां सफेद चीज का भोग जैसै दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।

 

पूजन का मंत्र- 

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।


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