देव दीपावली पर काशी के 84 घाट 15 लाख दीयों की रोशनी से झिलमिलाएंगे

टीम भारत दीप |

कार्तिक पूर्णिमा के दिन बनारस के 84 घाट  इस बार दस की जगह 15 लाख जलेंगे दीप।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन बनारस के 84 घाट इस बार दस की जगह 15 लाख जलेंगे दीप।

भगवान राम की नगरी अयोध्या में दीपोत्सव के सफल आयोजन के बाद अब योगी सरकार काशी की विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली को बड़े पैमाने पर मनाने जा रही है। मालूम हो कि देव दीपावली पर पिछले साल काशी के घाटों को दस लाख दीयों की रोशनी से रोशन किया गया था।

वाराणसी। पूरी दुनिया में अयोध्या में भव्य दीपावली मनाकर भारतीय सांस्कृतिक का पताका फहराने वाली यूपी सरकार अब  अब काशी की विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली को बड़े पैमाने पर मनाने जा रही है।

मालूम हो कि देव दीपावली पर पिछले साल काशी के घाटों को दस लाख दीयों की रोशनी से सजाया गया था, जबकि इस बार देव दीपावली को भव्‍य बनाने के लिए 15 लाख से अधिक दीयों को जलाया जाएगा।

30 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के दिन बनारस के 84 घाट 15 लाख दीयों की रोशनी से झिलमिलाएंगे। कार्यक्रम में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस वर्ष देव दीपावली पर ना भूतो ना भविष्यति स्तर का ग्रैंड शो का आयोजन किया जाएगा।

इसके साथ ही गंगा नदी में पानी की लहरों पर लेजर शो एवं प्रोजेक्‍टर के माध्यम से काशी की महिमा, शिव की महिमा एवं गंगा अवतरण आदि का भव्य प्रदर्शन होगा।

बनारस के घाटों पर देव दिवाली हर साल बड़े पैमाने पर मनाई जाती है और दुनिया भर से लोग इसे देखने आते हैं। इस बार देव दीपावली में 15 लाख से ज्यादा के दीयों से काशी के घाट सजाए जाएंगे।

इस साल देव दीपावली पिछले वर्षों से बेहतर और अच्‍छे स्‍तर पर मनाई जाएगी। इस मौके पर एक बड़ा प्रकाश उत्सव आयोजित होगा। मिश्रा ने बताया कि देव दीपावली के दिन 20-25 घाटों पर बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 

इस बार गंगा आरती में ऐसी व्यवस्था होगी कि लोग सुरक्षित शारीरिक दुरी का पालन करें। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि सरकार की इच्छा है कि अयोध्या जैसा भव्य आयोजन काशी की देव-दीपावली में हो।

सभी देवता आते है काशी: ऐसी मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था।

त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी। काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन दीपदान करने का विशेष महत्व होता है।

मान्‍यता है कि भगवान शंकर ने खुद देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी, इसीलिए देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ जाता है।इस दिन आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में लोग गंगा में स्नान करने आते है। 


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