एक और जोड़ी टूटी: बनारस घराने के मशहूर गायक राजन मिश्र का कोरोना संक्रमण से निधन

टीम भारत दीप |

राजन मिश्र और उनके भाई साजन मिश्र ख्याल शैली में गायन के लिए मशहूर थे।
राजन मिश्र और उनके भाई साजन मिश्र ख्याल शैली में गायन के लिए मशहूर थे।

मशहूर शास्त्रीय गायक के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि शास्त्रीय गायन की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पंडित राजन मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। बनारस घराने से जुड़े मिश्र जी का जाना कला और संगीत जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।

नईदिल्ली।  देश के महान शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र का कोरोना संक्रमण की वजह से  इस दुनिया से अवसान हो गया। पद्य भूषण और यश भारतीय स सम्मानित पं. राजन मिश्र के निधन पर कला जगत के साथ ही राजनीति जगत की तमाम हस्तियों ने शोक जताया।

बनारस घराने के मशहूर गायक पंडित राजन मिश्र का रविवार को निधन हो गया। उन्हें गंभीर हालत में दिल्ली के सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। राजन मिश्र कोरोना से भी संक्रमित थे। इसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि हॉस्पिटल में उन्हें वेंंटिलेटर नहीं मिल सका।

पीएम ने जताया दुख

मशहूर शास्त्रीय गायक के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि शास्त्रीय गायन की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पंडित राजन मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है।

बनारस घराने से जुड़े मिश्र जी का जाना कला और संगीत जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। वहीं यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, सपा के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया के ​जरिए गहरा दुख जताया। 

यह सम्मान मिला था

राजन मिश्र और उनके भाई साजन मिश्र ख्याल शैली में गायन के लिए मशहूर थे। इस जोड़ी को 1971 में भारत सरकार ने संस्कृत अवार्ड दिया। 1994-95 में गंधर्व सम्मान, 1998 में संगीत नाटक अकादमी और 2007 में पद्म भूषण से नवाजा गया। 14 दिसंबर 2012 को राष्ट्रीय तानसेन सम्मान दिया गया था। इनके 20 से ज्यादा एल्बम भी आए।

पिता और दादा से ली थी संगीत की शिक्षा

1951 में जन्मे राजन मिश्र ने अपने दादा पंडित बड़े राम जी मिश्र और पिता पंडित हनुमान मिश्र से संगीत की शुरुआती शिक्षा ली थी। इसके बाद वे 1977 में दिल्ली चले गए। उन्होंने अपने भाई साजन मिश्र के साथ 400 साल पुराने बनारस घराने की परंपरा को आगे बढ़ाया। दोनों ने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया था। जल्द ही वे जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, अमेरिका, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश सहित कई देशों में प्रदर्शन करने गए।

400 साल पुरानी परंपरा को निभा रहे थे दोनों भाई

आपकों बता दें कि पंडित राजन मिश्रा और उनके भाई साजन मिश्रा 400 साल की पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाते रहे थे। दोनों भईयों को संगीत की दुनिया में बहुत ही सम्मान से देखा जाता है। बनारस घराने में जन्मे पंडित राजन और पंडित साजन मिश्रा को संगीत की शिक्षा उनके दादा जी पंडित बड़े राम जी मिश्रा और पिता पंडित हनुमान मिश्रा ने ही दी।

विदेशों में फहराया शास्त्रीय संगीत का परचम

आपकों बता दे कि 1978 में राजन-साजन की जोड़ी ने श्रीलंका में अपना पहला विदेशी शो किया। आज इनकी आवाज सरहदों के पार- जर्मनी, फ्रांस, स्वीटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, जैसे कितने ही मुल्कों में गूंजती है!

ख्याल शैली में अतुलनीय गायन के लिए लोकप्रिय इन भाईयों की जोड़ी को 1971 में प्रधानमंत्री द्वारा संस्कृत अवार्ड मिला, 1994-95 में गंधर्व सम्मान और 2007 में पदम् भूषण से नवाज़ा गया। इनके 20 से अधिक एल्बम संगीत प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं।

वैसे तो मशहूर राजन और साजन मिश्रा ने कभी भी बॉलीवुड में कभी भी रूचि नहीं ली। एक बार विशेष अनुरोध पर लखनऊ के निर्देशक राकेश मंजुल की फिल्म- 'तेरा देश, मेरा देश' के लिए संगीत निर्देशन की सहमति दी है।


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