वाराणसी को दिल्ली से हाईस्पीड रेलवे ट्रैक से जोड़ने की योजना, सर्वे 13 से

टीम भारत दीप |

रेल प्रशासन ने दिल्ली से वाराणसी 800 किमी की दूरी के लिए बुलेट ट्रेन चलाने का फैसला लिया था।
रेल प्रशासन ने दिल्ली से वाराणसी 800 किमी की दूरी के लिए बुलेट ट्रेन चलाने का फैसला लिया था।

इसके लिए अलग से एलिवेटेड ट्रैक बनाया जाएगा। ट्रैक पर कुछ जगह अंडरग्राउंड रेलवे लाइन भी होगी। इस ट्रैक पर अधिकतम 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। इसके लिए 13 दिसंबर से हेलिकॉप्टर से लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) सर्वे शुरू किया जाएगा।

नईदिल्ली। मोदी सरकार वाराणसी के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। अब वाराणसी को दिल्ली से हाईस्पीड ट्रेन के माध्यम से जोड़ने का प्रयास शुरू हुए है। 

इसके लिए अलग से एलिवेटेड ट्रैक बनाया जाएगा। ट्रैक पर कुछ जगह अंडरग्राउंड रेलवे लाइन भी होगी। इस ट्रैक पर अधिकतम 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाई जा सकेंगी।

इसके लिए 13 दिसंबर से हेलिकॉप्टर से लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) सर्वे शुरू किया जाएगा। इस तकनीक से 800 किमी का सर्वे 12 हफ्तों में पूरा हो जाएगा। यदि यह सर्वे इंजीनियर धरातल पर उतरकर करेंगे तो उन्हें एक साल का समय लग सकता है। 

तीन साल पहले बनी थी योजना:  मालूम हो कि तीन साल पहले रेल प्रशासन ने दिल्ली से वाराणसी 800 किमी की दूरी के लिए बुलेट ट्रेन चलाने का फैसला लिया था।

रेलवे परंपरागत तरीके से सर्वे कराता तो इसमें सवा से डेढ़ साल का समय लगता पर लिडार तकनीक से हवाई सर्वे में बमुश्किल 12-15 सप्ताह ही लगेंगे। दिल्ली वाराणसी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर की डिटेल

कानपुर-लखनऊ भी जुड़ेंगे: प्रारम्भिक जानकारी जो सामने आई है, उसके अनुसार यह ट्रैक इस तरह से बनाया जाएगा कि न सिर्फ कानपुर बल्कि लखनऊ भी कनेक्ट हो सकें। इस नए ट्रैक के लिए कुछ स्टेशन भी बनाए जाएंगे।

अभी सर्वे होगा फिर रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंपी जाएगी। इसके बाद डीपीआर बनेगी और टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। यह काम रेलवे मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड कर रही है।

इस तरह होगा सर्वे: लेजर लाइटों और सेंसर पर आधारित होती है। इस तकनीक का इस्तेमाल पहले मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के सर्वेक्षण में किया जा चुका है। इसका सर्वेक्षण डाटा बेहद सटीक होता है।

हेलिकॉप्टर में अत्याधुनिक हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगते हैं। लेजर डाटा, जीपीएस डाटा, फ्लाइट पैरामीटर और वास्तविक तस्वीरों से मिली जानकारी के आधार पर काम किया जाता है।

इस विषय में सुषमा गौड़, पीआरओ, एनएचएसआरसीएल का कहना है कि रक्षा मंत्रालय ने 13 दिसंबर से हवाई सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली से वाराणसी तक घनी आबादी होने, खेत, नदियां होने की वजह से हवाई सर्वेक्षण सटीक और आसान है।


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