यूपी पंचायत चुनाव में बदलने लगे सियासी समीकरण, खेला जा रहा ये दांव

टीम भारत दीप |

वह अपने दोस्त या मिलने वालों को चुनाव लड़ाने की तैयारी में लगे है।
वह अपने दोस्त या मिलने वालों को चुनाव लड़ाने की तैयारी में लगे है।

यह बदलाव आरक्षण सूची को लेकर आए कोर्ट के फैसले के बाद से देखा जा रहा है। गांव में सरकार बनाने को लेकर अब यहां तमाम तरह के दांव भी देखने को मिलने लगे है। दरअसल पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूपी में राजनीतिक समीकरण बदलने लगे है।

लखनऊ। यूपी पंचायत चुनाव को लेकर चल रही सरगर्मियों के बीच यहां सियासी समीकरण बदलते नजर आने लगे हैं। यह बदलाव आरक्षण सूची को लेकर आए कोर्ट के फैसले के बाद से देखा जा रहा है। गांव में सरकार बनाने को लेकर अब यहां तमाम तरह के दांव भी देखने को मिलने लगे है।

दरअसल पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूपी में राजनीतिक समीकरण बदलने लगे है। बताया जा रहा है कि जो लोग पहले खुद चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे वो सीटों के आरक्षित कोटे में जाने के बाद वह अब अपने दोस्त, पड़ोसी या कर्मचारी को चुनाव लड़ाने के लिए मैदान में उतारने में जुटे हैं।

जानकारी के मुताबिक लखनऊ के रहीमाबाद के जिन्दौर, कैथुलिया, ससपन और भतोइया सीट अबकी बार आरक्षित कोटे में चली गई है। बताया जा रहा है कि ऐसे सीटों पर पहले कई लोग चुनाव लड़ना चाहते थे मगर सीट आरक्षित होने के बाद वह अपने दोस्त या मिलने वालों को चुनाव लड़ाने की तैयारी में लगे है।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूपी पंचायत चुनाव में सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। बताया गया कि इस पंचायत चुनाव में लोग अपने साथ पढ़े लोगों को भी याद कर रहे है क्योकि उनका वह मित्र आरक्षित कोटे की सूची में फिट बैठता हैं। उधर एक पूर्व ग्राम प्रधान अपने खेत में काम करने वाले व्यक्ति को चुनावी मैदान में उतार रहा हैं।

बताया गया कि प्रधान ने उसके लिए दो कमरे भी बनाए हैं। बताया गया कि ऐसा ही हाल लगभग पूरे राज्य में देखा जा सकता है। बताया गया कि जो लोग होली से पहले अपने क्षेत्र में चुनाव की जोरदार तैयारी कर रहे थे। चर्चा है कि वह अब अपने किसी मिलने वालों को चुनाव लड़ने के लिए मना रहे है।

मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी लखनऊ के निगोहां के उतरावां में एक दावेदार ने एक जान पहचान वाले को चुनाव मैदान में उतारा हैं। बताया गया कि पूर्व दावेदार ने पोस्टर में उसके साथ हाथ जोड़े हुए अपनी तस्वीर भी छपवाई है। उधर मोहनलालगंज में खुजौली, दहियर और कनकहा सीट भी आरक्षित हो गई है।

ऐसे में वहां के प्रधान द्वारा अपने ड्राइवर को चुनावी मैदान में उतारने की भी खबर है। कुल मिलाकर गांवों में सरकार बनाने को लेकर सभी प्रकार के दांव देखने को मिल रहे है।


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