24 घंटे मैदान में डटे रहने वाले जवानों पर कोरोना संक्रमण का खतरा

टीम भारत दीप |

कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से तबाही मचा रही है।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से तबाही मचा रही है।

चाहे मास्क पहनाने को लेकर सख्ती या साप्ताहिक लॉकडॉउन का कड़ाई से पालन कराने की बात हो हर जगह पुलिस जवान मुस्तैद रहते है। पुलिस बल को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है।

झांसी। प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में दिन रात ड्यूटी करने वाले पुलिस के जवान भी संक्रमण की चपेट में आ रहे है। एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस का हर चौथा जवान कोरोना संंक्रमित है।

सरकार द्वारा जारी आदेश का पालन कराने में पुलिस वाले दिन -रात लगे रहते है। चाहे मास्क पहनाने को लेकर सख्ती या साप्ताहिक लॉकडॉउन का कड़ाई से पालन कराने की बात हो हर जगह पुलिस जवान मुस्तैद रहते है।

पुलिस बल को इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। जनपद के हर चौथे सिपाही पर संक्रमण का खतरा बना हुआ है।  थाना सीपरी बाजार इंस्पेक्टर समेत नवाबाद थाने में वाहन चालक कोरोना संक्रमित हो गए।

पुलिस के पास पर्याप्त साधन नहीं

कोरोना काल में पुलिस जवानों की चुनौतियां काफी बढ़ गईं हैं। कानून-व्यवस्था के साथ अब मास्क समेत बचाव के दूसरे मोर्चो पर भी जूझना पड़ रहा,  इस नई चुनौती से निपटने के लिए पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

जनपद में करीब ढाई हजार पुलिसकर्मी हैं। इनमें डेढ़ हजार पुलिसकर्मी विभिन्न थानों समेत फ्रंट लाइन पर तैनात हैं। इनमें हर चौथे सिपाही को लगातार फील्ड पर रहना पड़ता है। संक्रमण की जद में आने का सर्वाधिक खतरा इनके ऊपर ही मड़रा रहा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से तबाही मचा रही है। 

हॉटस्पॉट की निगरानी बनी चुनौती

जिले के पुलिसकर्मियों को न सिर्फ कोविड अस्पतालों में जाना पड़ रहा, बल्कि हॉटस्पॉट बने इलाकों में निगरानी करनी पड़ रही है। अधिकांश पुलिसकर्मी कपड़े के बने मास्क ही इस्तेमाल कर रहे हैं।

इसी तरह थानों में न कोविड डेस्क काम करती है, न वहां सैनिटाइजर आदि का कोई इंतजाम रहता है। इसी वजह से पिछली बार बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए थे। वहीं, अभी भी कोविड से सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होने से रोजाना पुलिसकर्मी संक्रमित हो रहे हैं।

झांसी एसपी सिटी विवेक त्रिपाठी का कहना है पहले दौर में कोरोना ने नुकसान पहुंचाया था, लेकिन अब फ्रंटलाइन वर्कर होने की वजह से अधिकांश पुलिसकर्मियों को वैक्सीन लगवाई जा चुकी है। ऐसे में संक्रमण की दर काफी कम हो गई है। 

वहीं जनपद के पुलिसकर्मियों के लिए अलग से कोई अस्पताल नहीं है। उनको उपचार के लिए जिला अस्पताल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। कोविड के दौर में भी पुलिसकर्मियों के लिए न कोई अस्पताल बनाए गए और न ही उनको उपचार की कोई दूसरी सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
 


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