कांग्रेस से नाराज रहकर भी भाजपा को यूपी जैसा फायदा पहुुंचा सकते हैं पायलट

टीम भारत दीप |
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सचिन पायलट, शिवपाल यादव
सचिन पायलट, शिवपाल यादव

सचिन ने मीडिया के सामने कहा कि मैं भाजपा ज्वाइन नहीं करूंगा। मैं अभी भी कांग्रेस में हूं। सचिन के इस बयान के बाद लोगों ने भाजपा के लोगों को ठगा सा दिखाने की कोशिश की लेकिन भाजपा फिर भी काॅन्फिडेंट है।

जयपुर। दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त होता है। राजस्थान की राजनीति में यह कहावत भाजपा के लिए सही साबित होने जा रही है। अशोक गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री व राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सचिन पायलट के बागी होने और सरकार से बाहर होने के बाद उनके भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। 

बुधवार को सचिन ने मीडिया के सामने कहा कि मैं भाजपा ज्वाइन नहीं करूंगा। मैं अभी भी कांग्रेस में हूं। सचिन के इस बयान के बाद लोगों ने भाजपा के लोगों को ठगा सा दिखाने की कोशिश की लेकिन भाजपा फिर भी काॅन्फिडेंट है। उसे अब राजस्थान की तस्वीर भी यूपी जैसी दिखाई दे रही है। सचिन अगर लंबे समय तक कांग्रेस से नाराज रहते हैं और भाजपा में न जाकर अपनी पार्टी बनाते हैं तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होने वाला है। 

यूपी बनाम राजस्थान
बता दें कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान अखिलेश यादव के चाचा और मुलायम के छोटे भाई शिवपाल यादव ने बगावती रूख अपना लिया था। शिवपाल को मुलायम का हनुमान माना जाता था और राजनीतिक पंडितों की राय थी कि सपा का जमीनी मैनेजमेंट शिवपाल के हाथ में है। 

मुलायम परिवार में तमाम कोशिशें हुईं लेकिन शिवपाल नहीं माने। अखिलेश यादव और मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव ने खुलकर आरोप लगाए कि शिवपाल भाजपा के इशारे पर पार्टी में फूट डाल रहे हैं। इधर शिवपाल ने रामगोपाल यादव को सपा में भाजपा का एजेंट बताया। 

इसके बाद शिवपाल ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई और समाजवादी नेता दो फाड़ हो गए। इसका सीधा फायदा भाजपा को 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला। 

राजस्थान में यही तस्वीर सचिन पायलट की बगावत के बाद पैदा हो सकती है, हालांकि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है। 

पायलट बनाम शिवपाल
राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट की भूमिका यूपी की सपा में शिवपाल यादव जैसी ही है। राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान पायलट ने अपना कैडर तैयार किया। संभव है कि सचिन के युवा होने के कारण वसुंधरा-गहलोत स्विचिंग से बोर हो चुके राजस्थानियों ने पायलट में अपना मुख्यमंत्री देखा होगा। 

पायलट गुर्जर समुदाय से आते हैं जिसका कि वोट प्रतिशत अच्छा खासा है। गुर्जर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के साथ हरियाणा की राजनीति को भी प्रभावित करते हैं। सचिन पायलट की बगावत के बाद यूपी में गुर्जर नेताओं ने पायलट को 36 बिरादरी के समर्थन की बात कही है। उनके समर्थक चाहते हैं कि वे अपनी पार्टी बनाएं।  

वसुंधरा बनाम पायलट
सचिन पायलट के भाजपा में जाने के बाद संभव होता कि राजस्थान भाजपा के कई नेताओं को अपने कद छोटे दिखाई देने लगते। खुद वसुंधरा राजे को लेकर पार्टी में एक राय नहीं है। ऐसे में वसुंधरा का विरोधी खेमा पायलट के सहारे उन्हें कमजोर करने का प्रयास करता। 

नतीजा भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा भाजपा को सचिन पायलट को कोई बड़ा पद देना पड़ेगा, इससे भी लंबे समय से पार्टी में संघर्ष रहे कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल सकता है। इसलिए भाजपा चाहेगी कि पायलट यदि भाजपा ज्वाइन न करके भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ते हैं तो भी भाजपा उन्हें बाहर से समर्थन दे सकती है। 


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