सुल्तानपुर: खोखले तंत्र व बदहाल व्यवस्था की खुली पोल,सीएचसी के बाहर युवक ने तड़पकर दम तोड़ा

टीम भारत दीप |

अस्पताल के गेट पर ही राजू ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
अस्पताल के गेट पर ही राजू ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

खोखले तंत्र व बदहाल व्यवस्था ने एक और जिन्दगी की बलि ले ली। दरअसल यूपी के सुल्तानपुर जिले में सीएचसी के बाहर एक युवक ने इलाज के आभाव में तड़प—तड़पकर दम तोड़ दिया। जानकारी के मुताबिक यहां बीती रात को गांव के सीएचसी के बाहर एक युवक की इलाज के अभाव में मौत हो गई।

सुल्तानपुर। कोरोना से मचे हाहाकार के बीच खोखले तंत्र व बदहाल व्यवस्था ने एक और जिन्दगी की बलि ले ली। दरअसल यूपी के सुल्तानपुर जिले में सीएचसी के बाहर एक युवक ने इलाज के आभाव में तड़प—तड़पकर दम तोड़ दिया। जानकारी के मुताबिक यहां बीती रात को गांव के सीएचसी के बाहर  एक युवक की इलाज के अभाव में मौत हो गई।

वहीं इसकी जानकारी सामने आने के बाद प्रगतिशील समाजवादी नेता हसनैन जाफरी डंपी के नेतृत्व में अस्पताल के बाहर जोरदार प्रदर्शन भी किया। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक घटना बंधुआ कला थाना क्षेत्र के हसनपुर गांव की है।

बताया गया कि यहां हसनपुर स्टेट के राजा के बेटों ने अखिलेश सरकार में अपनी बेशकीमती जमीन अस्पताल के लिए दान कर दी थी। बताया गया कि इसी जमीन पर आज सीएचसी संचालित है। बताया गया कि यहां दुर्भाग्य ये है कि रात में डाक्टरों के नहीं होने पर लोगों की जान चली जाती है।

बताया गया कि गुरुवार रात गांव निवासी राजू की तबीयत अचानक बिगड़ गई।  आनन फानन में परिजन उसे गांव के सीएचसी लेकर पहुंचे। लेकिन यहां डॉक्टर और स्टाफ दोनों नदारद थे। जिसका नतीजा ये हुआ कि अस्पताल के गेट पर ही राजू ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। राजू की मौत के बाद यहां कोहराम मच गया।

बताया गया कि उसकी तीन बेटियां और मां अस्पताल के बाहर रोने—बिलखने लगी। बताया गया कि राजू की मौत से यहां चीख—पुकार का माहौल व्याप्त हो गया। वहीं इलाज के अभाव में राजू की मौत की खबर जब गांव में पहुंची ग्रामीण उग्र होकर यहां पहुंच गए।

बताया गया कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के इसौली प्रभारी हसनैन जाफरी डंपी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की। वहीं डंपी ने मीडिया से बताया कि अस्पताल तक आने वाली रोड टूटी हुई है। बताया गया कि मरीज को लेकर आने के लिए गाड़ियां तक नहीं है।

उनके मुताबिक जिस वक्त राजू की मौत हुई, उस वक्त एक भी डाक्टर और कर्मचारी हॉस्पिटल में नहीं था।
 


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