देश की रक्षा करते हुए शहीद हुआ आगरा का बेटा, राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार

टीम भारत दीप |

देर रात परिजनों ने दी अंतिम विदाई। फोटो साभार अमर उजाला
देर रात परिजनों ने दी अंतिम विदाई। फोटो साभार अमर उजाला

श्यामवीर सिंह बचपन से ही फौज में जाना चाहते थे। 1994 में वो भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। और वर्तमान में लेह लद्दाख में सूबेदार के पद पर तैनात थे । श्यामवीर सिंह के एक लड़की अपूर्वा 20 साल व एक लड़का हर्ष 18 साल है दोनो ही बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे है। श्यामवीर सिंह बहुत ही मिलनसार चार भाईयो में तीसरे नंबर के थे।

आगरा। आगरा का एक बेटा देश की मिट्टी की रक्षा करते हुए लेह-लद्दाख् की  दुर्गम वादियों में  हार्टअटैक से शहीद हो गया। आपकों बता दें किबुधवार आगरा के थाना खंदौली अंतर्गत मलूपुरा निवासी सूबेदार श्याम सिंह की लेह लद्दाख में सीमा की सुरक्षा करते समय हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। गु

रुवार देर रात  शहीद सूबेदार का शव पैतृक गांव पहुंचा तो हर तरफ से रोने-चीखने की आवाज आने लगी। राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सभी की आंखें नम दिखाई दी।

लोगों ने सरकार से पाकिस्तान पर कब्जा करने और लेह लद्दाख में सिपाहियों की दस दिन से ज्यादा ड्यूटी न लगाने की अपील की । बेटी पूर्णिमा ने कहा कि देश के लिए न्योछावर होना हमारा खानदानी काम है, भाई को फौज के लिए तैयार करूंगी और खुद भी फौज ज्वाइन करूंगी।

गांव में छाया मातम

गुरुवार देर रात जब थाना मलूपुर में सूबेदार श्यामवीर सिंह का शव पहुचा मां गांव में मातम छा गया। शहीद के नाम के साथ जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे और सभी ने सिपाही को नम आँखों से श्रद्धांजलि दी।

आगरा के सूबेदार श्यामवीर सिंह लेह लद्दाख में तैनात थे, संयुक्त परिवार में रहने वाले श्यामवीर सिंह चार भाइयो में तीसरे नंबर के भाई थे, श्यामवीर सिंह के एक बड़े भाई गांव में खेती संभालते हैं, एक भाई उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनात है और एक भाई इंजीनियर है जो वर्तमान में विदेश में कार्यरत है।

श्यामबीर सिंह के एक बेटा और एक बेटी है, श्यामबीर सिंह की बेटी पूर्णिमा ने बताया की मेरे पिता की करीब डेढ़ माह पहले लेह में तैनाती हुई थी,आखिरी बार बात कल हुई थी,जब भी उनसे बात होती थी तभी वह यह बताते थे कि यहां पर उनकी तैनाती है।

वहां पर ऑक्सीजन की कमी है,जैसे ही हमारे परिवार को यह खबर मिली तो हमको विश्वाश ही नही हुआ क्योंकि हमारे पिताजी बिल्कुल स्वस्थ्य थे। जब हमने उनके नम्बर पर बात की तो पहले बताया गया कि उनकी तबियत खराब है और वो आईसीयू में हैं, फिर उधर से कहा गया किसी बड़े को फोन दो और जब फोन ताऊ के लड़के को दिया तो उधर से मौत की खबर बताई गई।

घर पर बाहर लगी लोगों की भीड़

सूबेदार श्यामवीर सिंह के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से ही घर पर सुबह से ही परिवार को सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा , सूबेदार के परिवार को सांत्वना देने पुलवामा हमले में शहीद हुए कौशल कुमार रावत की वीरांगना ममता रावत व उनके बेटे अभिषेक भी पहुंचे।

 परिजनों के अनुसार श्यामवीर सिंह बचपन से ही फौज में जाना चाहते थे। 1994 में वो भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। और वर्तमान में लेह लद्दाख में सूबेदार के पद पर तैनात थे । श्यामवीर सिंह के एक लड़की अपूर्वा 20 साल व एक लड़का हर्ष 18 साल है दोनो ही बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे है। श्यामवीर सिंह बहुत ही मिलनसार चार भाईयो में तीसरे नंबर के थे।

सेना ने दी सलामी,पुलिस ने दिया कंधा

श्यामवीर सिंह का शव जब आगरा पहुंचा तो परिवार का रो रो कर बुरा हाल हो गया।बेटी पिता के शव से लिपट कर रोने लगी। शव लेकर आये सेना के जवानों ने शहीद को सलामी दी।

स्थानीय पुलिसकर्मियों ने भी शहीद को कंधा दिया। गमगीन माहौल के बीच गांव में हिंदुस्तान और श्यामवीर की जिंदाबाद के नारे लगने लगे। बड़े भाई व पुत्र को सेना के जवानों ने तिरंगा सौंपा और फिर बेटे और भाई के द्वारा उन्हें मुखाग्नि दी गयी।

इसे भी पढ़ें...


संबंधित खबरें