यूपी: ट्रांसफर पर लगी रोक हटी, 15 जुलाई तक होंगे तबादले, राज्य कर्मचारियों ने किया विरोध

टीम भारत दीप |

कर्मचारियों ने सरकार की स्थानांतरण नीति का विरोध शुरू कर दिया है।
कर्मचारियों ने सरकार की स्थानांतरण नीति का विरोध शुरू कर दिया है।

प्रदेश सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर पर लगी रोक को हटा लिया है। राज्य सरकार की ओर से जारी नई तबादला नीति के तहत 15 जुलाई तक तबादले हो सकेंगे। इस बाबत मंगलवार को मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने शासनादेश किया है।

लखनऊ। यूपी में कोरोना के कारण कारण ट्रांसफर पर लगी रोक को हटा लिया गया है। ऐसे में राज्य कर्मचारियों ने सरकार की स्थानांतरण नीति का विरोध शुरू कर दिया है। कर्मचारी संगठनों के मुताबिक कोरोना कॉल में तबादला करना ठीक नहीं है। उनका कहना है कि अभी भी संक्रमण का दौर है। ऐसे में कर्मचारियों का एक स्थान से दूसरी स्थान जाना ठीक नहीं है।

वहीं संगठन की ओर से मांग की गई है कि केवल इच्छुक कर्मचारियों का ही तबादला किया जाए। बाकी लोगों का तबादला करना ठीक नहीं है। दरअसल कोरोना का कहर अब थमता चला है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर पर लगी रोक को हटा लिया है। राज्य सरकार की ओर से जारी नई तबादला नीति के तहत 15 जुलाई तक तबादले हो सकेंगे।

इस बाबत मंगलवार को मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने शासनादेश किया है। बता दें कि बीते साल कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में तबादलों पर रोक लगा दी गई थी। जिसे अब बहाल कर दिया गया है। इधर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी के मुताबिक अभी तक कार्मिक विभाग के नियमों के अनुसार 20 फीसदी लोगों का तबादला एक बार में होता है।

मगर इस बार कर्मचारी इसका विरोध कर रहे है। उनकी दलील है कि बच्चों के एडिमशन से लेकर कई तरह की समस्याएं आएंगी। कहा गया कि तबादले के बाद कर्मचारियों को अपना घर भी देखना होगा। हरि किशोर तिवारी के मुताबिक कई कर्मचारियों का तबादला 500 किलोमीटर दूर कर दिया जाता है। ऐसे में इस दौर में शिफ्ट करना मुश्किल होगा।

कहा गया कि सरकारी आंकड़े भी बता रहे हैं कि कोरोना का तीसरी लहर भी आने वाली है। ऐसे में बच्चों पर भी कोरोना का असर इस बार बढ़ने की उम्मीद है। कहा गया कि इन सब से बचने के लिए उपयुक्त होगा की सामान्य स्थानांतरण पर जोर न दिया जाए। गौरतलब है कि सूबे में नियमित राज्य कर्मचारियों की संख्या नौ लाख से अधिक है।

ऐसे में यदि 20 फीसदी लोगों का तबादला कर दिया गया तो एक साल में 1 लाख 80 लोगों का तबादला किया जाएगा । वहीं परिषद के मीडिया प्रभारी मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक वह लोग पहले भी इसको रोकने की मांग की चुके है मगर सरकार ने उनकी मांगों को नजर अंदाज किया है।


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