यूपी बोर्ड के 134 स्कूलों का रिजल्ट जीरो, हिंदी में 8 लाख फेल

टीम भारत दीप |
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31 विद्यालय तो ऐसे हैं जो सरकारी हैं।
31 विद्यालय तो ऐसे हैं जो सरकारी हैं।

जीरो प्रतिशत रिजल्ट वालों में हाईस्कूल के 87 और इंटरमीडिएट के 47 कालेज हैं। इनमें से अधिकतर में दहाई के अंक में भी छात्र पंजीकृत नहीं थे।

प्रयागराज। एशिया के सबसे बड़े स्कूल शिक्षा बोर्ड हासिल करने वाले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में चैंकाने वाले आंकड़े भी देखने को मिल रहे हैं।  एक ओर जहां एक ही स्कूल को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों परीक्षाओं में टाॅप करने का गौरव हासिल हुआ है वहीं प्रदेश में 134 स्कूल ऐसे भी हैं जिनका रिजल्ट जीरो प्रतिशत रहा है। इनके इक्का दुक्का ही छात्र परीक्षा देने पहुंचे थे, वो भी पास नहीं हो सके। वहीं पूरी बोर्ड परीक्षा में करीब आठ लाख छात्र ऐसे भी हैं जो सिर्फ हिंदी विषय में फेल हुए हैं। 

जीरो प्रतिशत रिजल्ट वालों में हाईस्कूल के 87 और इंटरमीडिएट के 47 कालेज हैं। इनमें से अधिकतर में दहाई के अंक में भी छात्र पंजीकृत नहीं थे। इनमें से भी एक ही छात्र परीक्षा देने पहुंचा और वह भी परीक्षा पास नहीं कर सका। इन विद्यालयों में लगभग हर जिले का एक विद्यालय है। आगरा के दो और मैनपुरी का एक विद्यालय शामिल है। 

जीरो प्रतिशत रिजल्ट वाले 31 विद्यालय तो ऐसे हैं जो सरकारी हैं। इनमें अधिकतर में 10 भी छात्र पंजीकृत नहीं थे। कन्नौज के आरबीएसएस हायर सेकेंडरी स्कूल कुरियाना ठठिया में पंजीकृत 32 छात्रों में 2 ही परीक्षा देने आए। आजमगढ़ के आदर्श बालिका इंटर कालेज पहलना में 31 में से 30 छात्रों ने परीक्षा दी लेकिन सभी फेल हो गए। देखें इंटर कालेज की सूची-


हिंदी में आठ लाख फेल
उत्तर प्रदेश प्रमुख हिंदी भाषी राज्य है और यूपी बोर्ड को हिंदी माध्यम का बोर्ड ही माना जाता है। ऐसे में इसकी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में हिंदी विषय में भी पासिंग माक्र्स न ला पाना बड़े सवाल खड़े करता है। 2020 की हाईस्कूल परीक्षा में हिंदी के प्रश्नपत्र में 5,27,680 और प्रारंभिक हिंदी में 186 परीक्षार्थी फेल हुए। 

इंटरमीडिएट में हिंदी के प्रश्नपत्र में 1,08,207 और सामान्य हिंदी में 1,61,753 छात्र फेल हुए हैं। इस प्रकार हिंदी में कुल 7,97, 826 परीक्षार्थी फेल हैं। बता दें कि इस बार यूपी बोर्ड की परीक्षा में कुल 52,57,135 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। हालांकि फेल होने वाले की संख्या पिछली बार से कम है। पिछली बार करीब 10 लाख छात्र हिंदी विषय में फेल थे। 


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