यूपी: योगी सरकार का नया फरमान,6 माह तक किसी भी तरह की हड़ताल पर लगाया प्रतिबंध

टीम भारत दीप |

अपर मुख्य सचिव  मुकुल सिंघल ने आदेश जारी कर दिया है।
अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने आदेश जारी कर दिया है।

इस बाबत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर भी लगा दी है। बताया गया कि हड़ताल करने पर आवश्यक सेवा अधिनियम (इसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट) एस्मा का उल्लंघन माना जाएगा। बताया गया कि इस धारा को तोड़ने से जेल जाने से लेकर नौकरी जाने तक का खतरा होगा।

लखनऊ। लगातार बढ़ रही लोगों की दुश्वारियों के बीच योगी सरकार का नया फरमान कर्मचारियों के लिए मुश्किले बढ़ाने वाला होगा। सरकार के इस नए फरमान के तहत तमाम दिक्कतों के बावजूद कर्मचारियों अपनी आवाज नहीं उठा सकेंगे। यदि कर्मचारियों ने हड़ताल करने की कोशिश की तो उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोने के साथ ही जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।

दरअसल योगी सरकार ने यूपी में अगले 6 महीने तक किसी भी तरह की हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस बाबत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर भी लगा दी है। बताया गया कि हड़ताल करने पर आवश्यक सेवा अधिनियम (इसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट) एस्मा का उल्लंघन माना जाएगा।

बताया गया कि इस धारा को तोड़ने से जेल जाने से लेकर नौकरी जाने तक का खतरा होगा। इस बाबत अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एंड कार्मिक मुकुल सिंघल ने आदेश जारी कर दिया है। बताया गया कि इसे सभी विभागों में भेज दिया गया है। इधर बताया जा रहा है कि शिक्षक, राज्य और निकाय कर्मचारियों को मिलाकर करीब 30 लाख लोगों पर यह नियम लागू होगा।

इसके अलावा प्रदेश के सभी श्रम संगठन भी इस आदेश के दायरे में आते हैं। बताया गया कि ऐसे में निजी कंपनियों में भी हड़ताल नहीं हो सकती है। इस आदेश पर श्रम संगठनों और कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है। वहीं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी के मुताबिक यह कर्मचारी विरोधी फैसला है। हम इसका विरोध करते हैं।

सीटू के प्रदेश सचिव प्रेमनाथ राय ने इसको तानाशाही फैसला करार दिया है। उन्होंने दलील दी है कि कर्मचारियों का शोषण इससे बढ़ता जाएगा। गौरतलब है कि एस्मा लगाने का यह फैसला तीसरी बार बढ़ा है। इससे पहले भी 6-6 महीने के लिए सरकार यह आदेश जारी कर चुकी है। वहीं हरिकिशोर तिवारी के मुताबिक सरकार के सामने ही कर्मचारी अपनी बात रखता है।

ऐसे में यह तरीका बहुत गलत है। उनके मुताबिक सर​कार नहीं चाहती कि चुनाव तक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आए। ऐसे में वो इसका विरोध करते हैं। उनके मुताबिक कोरोना संक्रमण के बाद भी यदि सरकार ने हमारी मांगों को नहीं माना तो हम विरोध जरूर दर्ज कराएंगे।


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