बहन को न्याय दिलाने के लिए 7 दिन से अनशन पर शिक्षक भाई, ससुराल में हो गई थी मौत

टीम भारत दीप |

पुष्पा बेलवाल (फाइल फोटो-बाएं), कमल चंद्र कफल्टिया
पुष्पा बेलवाल (फाइल फोटो-बाएं), कमल चंद्र कफल्टिया

वह शिक्षक है, इसलिए कानूनी तरीका अपनाते हुए अनशन के जरिए सिस्टम तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की। अनुमति नहीं मिली तो घर पर ही वह बीते सात दिन और आज शिक्षक दिवस के अवसर पर भी आमरण अनशन पर है।

नैनीताल (उत्तराखंड)। स्कूल में विद्यार्थियों को सत्य और न्याय का पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक सिस्टम से सामना होने के बाद अपने ज्ञान को झूठा पा रहा है। ससुराल में उत्पीड़न के कारण हुई बहन की मौत के दो महीने बाद तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई न होने से वह निराश है। 

वह शिक्षक है, इसलिए कानूनी तरीका अपनाते हुए अनशन के जरिए सिस्टम तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की। अनुमति नहीं मिली तो घर पर ही वह बीते सात दिन और आज शिक्षक दिवस के अवसर पर भी आमरण अनशन पर है।  

बता दें कि उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित कमलुवागंज गौड़ निवासी दयाशंकर कफल्टिया की बहन पुष्पा की मौत 5 जुलाई को हो गई थी। पुष्पा की शादी 2013 में नैनीताल जिले के थाना चोरगलिया क्षेत्र स्थित गोलापार के तारानवाड़ निवासी गौरव बेलवाल के साथ हुई थी। 

पुष्पा के भाई दयाशंकर कफल्टिया ने पुलिस को दी तहरीर में आरोप बहन के ससुराल वाले उसे शादी के कुछ दिन बाद से ही दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे थे। कई बार उसे मारा-पीटा गया। बीती 24 जून को पुष्पा ने अपनी मां को फोन पर जानकारी दी कि ससुराल वाले उसे पीट रहे हैं और उसे कई दिन से भूखा भी रखा है। 

28 जून को फिर से उनकी बहन का मां के पास फोन आया कि ससुराल वाले उससे मारपीट कर रहे हैं। इसके बाद 11 बजे पुष्पा के चचेरे देवर मनोज ने मायके वालों को फोन कर बताया कि उनकी बेटी ने जहर खा लिया है। इसके बाद बरेली के अस्पताल में उपचार के दौरान 5 जुलाई को पुष्पा की मौत हो गई। 

दयाशंकर कफल्टिया की तहरीर पर पुलिस ने ससुराल वालों के खिलाफ दहेज के लिए प्रताड़ित करने और पति गौरव बेलवाल और सास माया बेलवाल के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज कर ली। 

विवाहिता की ससुराल में उत्पीड़न के बाद मौत, बहन को न्याय दिलाने के लिए गुहार लगा रहा भाई
 

इधर पुष्पा के छोटे भाई कमल चंद्र कफल्टिया ने पुलिस की तरफ से न्याय न मिजते देख सोशल मीडिया पर न्याय की गुहार लगाई। आरोपी पक्ष के हाईकोर्ट चले जाने को लेकर पुलिस मामले में कार्रवाई से बच रही है। 

मामले में न्याय न मिलते देख कमल चंद्र कफल्टिया ने आमरण अनशन की अनुमति मांगी थी। प्रशासन से अनुमति न मिलने पर वे 30 अगस्त से अपने घर पर ही भोजन का त्याग कर अनशन पर हैं। ये विडंबना ही है कि कमल चंद्र खुद एक शिक्षक हैं और अपने छात्रों को सत्य और न्याय का पाठ पढ़ाते रहे हैं। 

आज शिक्षक दिवस के अवसर पर 7 दिन बाद वे अनशन पर हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपने अनशन की जानकारी प्रशासन तक पहुंचाई लेकिन कोई अधिकारी उनकी बात सुनने नहीं आया है। 


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