विजिलेंस टीम का दावा: केसीसी बैंक फर्जी लोन घोटाला में स्कूटर के नंबर वाले वाहन से ढोया लाखों का सामान

टीम भारत दीप |

इस पैसे को मेसर्स बीएल सेठ एग्रो मिल्स लिमिटेड के खाते में वापस कर दिया था।
इस पैसे को मेसर्स बीएल सेठ एग्रो मिल्स लिमिटेड के खाते में वापस कर दिया था।

जांच टीम ने यह भी बताया कि फर्म ने पंजाब के फगवाड़ा में स्थित जिस मेसर्स मां चिंतपूर्णी इंटरप्राइजेज के नाम दर्ज 24 मई 2015 के 25.15 लाख और 28.17 लाख रुपये के बिल जमा किए, उस फर्म का पंजीकरण ही 25 फरवरी 2016 को निरस्त हो गया था। जिस मदन फाउंड्री वर्क्स को 25 लाख रुपये दिलवाए गए

शिमला। शिमला के कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक में हुए कथित बैंक घोटाले की जांच के बाद हैरान करने वाले तथ्य सामने आए है। विजिलेंस टीम को पता चला है कि जिस मेसर्स यूआर सिंटर प्राइवेट लिमिटेड फर्म को 19.50 करोड़ का लोन जारी किया गया, उसने स्कूटर के नंबर वाले वाहनों से लाखों रुपये का सामान ढोने की जानकारी बैंक को दी थी।

जांच में इस बात की तस्दीक हुई है कि यूआर सिंटर फर्म ने पंजाब में पंजीकृत दो वाहनों से करीब 60 लाख रुपये का चिमनी की प्लेट और शेड बनाने के लिए माल ढुलाई दिखाई, वह दोनों ही दोपहिया वाहन के नंबर थे।

जांच टीम ने यह भी बताया कि फर्म ने पंजाब के फगवाड़ा में स्थित जिस मेसर्स मां चिंतपूर्णी इंटरप्राइजेज के नाम दर्ज 24 मई 2015 के 25.15 लाख और 28.17 लाख रुपये के बिल जमा किए, उस फर्म का पंजीकरण ही 25 फरवरी 2016 को निरस्त हो गया था।

जिस मदन फाउंड्री वर्क्स को 25 लाख रुपये दिलवाए गए, उसके मालिक ओम प्रकाश ने बताया कि बिक्रम सेठ के कहने पर उन्होंने इस पैसे को मेसर्स बीएल सेठ एग्रो मिल्स लिमिटेड के खाते में वापस कर दिया था।इसके साथ ही 18.23 लाख रुपये का एक बिल भी मेसर्स यूआर सिंटर प्राइवेट के नाम पर जारी किया लेकिन माल की कोई सप्लाई नहीं की।

बैंक प्रबंधन को निचले स्तर के अफसरों ने यह भी बताया कि लोन की 1.88 करोड़ की जारी की गई किश्त से फर्म ने उद्योग लगाने का कोई काम नहीं किया है। इसके बाद भी लोन कमेटी के सदस्यों करनैल सिंह राणा, लेख राज कंवर, प्रकाश चंद राणा और योग राज व बैंक की तत्कालीन एमडी राखिल कहलो ने दूसरी किश्त जारी कर दी थी।

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