17 साल की लड़की ने 36 साल के युवक से की शादी, अब पुलिस करेगी सुरक्षा

टीम भारत दीप |

परिवार वालों से दोनों को खतरा है, इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट गए थे।
परिवार वालों से दोनों को खतरा है, इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट गए थे।

उसके इस फैसले पर उसके घर वाले उसके खिलाफ हो गए है। इसके बाद नवदंपती सुरक्षा के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने मुस्लिम विवाह साहित्‍य और विभिन्न अदालतों के निर्णयों को आधार बनाकर साफ कर दिया है कि 18 साल से कम उम्र में भी शादी कर सकती है।

चंडीगढ़। पंजाब में इन दिनों एक मुस्लिम कपल की लवस्टोरी सोशल मीडिया पर छाई हुई है। लोग कहते है कि प्यार में उम्र का कोई बंधन नहीं होता यह कहावत इस समय पंजाब में सही साबित हो रही है।

इसे सही साबित किया है एक 17 वर्षीय मुस्लिम लड़की ने उसने अपने दो गुने बड़े युवक से  मुस्लिम रीति -से शादी कर ली। उसके इस फैसले पर उसके घर वाले उसके खिलाफ हो गए है। इसके बाद नवदंपती सुरक्षा के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंचा।

हाई कोर्ट ने मुस्लिम विवाह साहित्‍य और विभिन्न अदालतों के निर्णयों को आधार बनाकर साफ कर दिया है कि 18 साल से कम उम्र में भी शादी कर सकती है। वह मुस्लिम पर्सनल लाॅ के तहत किसी से भी शादी करने को स्वतंत्र है।

एसपी ने नहीं दी थी सुरक्षा, तब  गए कोर्ट

हाईकोर्ट की जस्टिस अलका सरीन ने यह फैसला मोहाली के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग संबंधी याचिका का निपटारा करते हुए सुनाया। दोनों ने 21 जनवरी को मुस्लिम रीति-रिवाज से  शादी की। दोनों की यह पहली शादी है।

उनके परिवार व रिश्तेदार इस शादी से खुश नहीं हैं । परिवार वालों से दोनों को खतरा है, इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट गए थे। इससे पहले दोनों ने मोहाली के एसएसपी को 21 जनवरी को ही एक मांग पत्र देकर सुरक्षा देने की मांग की थी, लेकिन एसएसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे उनको हाईकोर्ट की शरण में आना पड़ा।

याची पक्ष ने तर्क दिया था कि मुस्लिम कानून में युवावस्था ही विवाह का आधार है। उनके धर्म के अनुसार 15 वर्ष की उम्र को युवावस्था माना जाता है और लड़की या लड़का शादी के लिए योग्य होते हैं।

हाई कोर्ट ने सर डी. फरदुनजी मुल्ला की पुस्तक प्रिंसिपल्स आफ मोहम्मदन ला के लेख 195 का हवाला देते हुए कहा कि एक मुस्लिम लड़का या मुस्लिम लड़की, जिसे यौवन प्राप्त हो चुका है, वह किसी से शादी करने के लिए स्वतंत्र है, जिसे वह पसंद करते हैं और अभिभावक को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।


कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता विवाह योग्य उम्र के हैं, जैसा कि मुस्लिम पर्सनल ला द्वारा तय किया गया है। ऐसे में उनको किसी की सहमति की जरूरत नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने अपने परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध विवाह किया है।

संविधान ने उनको मौलिक अधिकार भी दिया है, जिससे वे वंचित नहीं हो सकते। इस लिए एसएसपी मोहाली याचिकाकर्ताओं के मांगपत्र पर उचित कार्रवाई कर नियमानुसार उनके जीवन व स्वतंत्रता की रक्षा करें।


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