राम मंदिर ट्रस्ट मामला : 24 घंटे में खुली सपा नेता के दावे की पोल, 10 मिनट नहीं 10 साल पहले हुआ था दो करोड़ में सौदा

टीम भारत दीप |
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रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर पूर्व मंत्री एवं सपा नेता के आरोप से साधु-संत आक्रोशित हो उठे हैं।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर पूर्व मंत्री एवं सपा नेता के आरोप से साधु-संत आक्रोशित हो उठे हैं।

पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया था कि दो करोड़ की भूमि 18.50 करोड़ में एग्रीमेंट कराने के पीछे करोड़ों का घोटाला किया गया। इस विषय में दस्तावेजों की पड़ताल करने पर सामने आया कि इस भूमि का चार मार्च 2011 को यानी 10 साल पूर्व ही मो. इरफान, हरिदास एवं कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया था। तीन साल बाद इस एग्रीमेंट का नवीनीकरण भी कराया गया।

अयोध्या। सपा नेता पवन पांडेय द्वारा रविवार को कुछ दस्तावेज के साथ दावा किया जाता है कि रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण ट्रस्ट समिति ने 2 करोड़ की जमीन का 18 करोड़ में सौदा करके बहुत बड़ा घोटाला किया गया है।

देखते ही देखते यह घोटाला मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर छा जाता है।इस दावे की पोल महज 24 घंटे में ही खुल गई कि इस जमीन का सौदा 2 करोड़ में 10 मिनट पहले नहीं बल्कि दस साल पहले हुआ था।

 मालूम हो कि सपा नेता के आरोप का मुख्य आधार यह था कि जिस भूमि का इसी वर्ष 18 मार्च को तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया, उस भूमि का एग्रीमेंट करने वाले रविमोहन तिवारी एवं सुल्तान अंसारी ने उसी तारीख को 10 मिनट पूर्व ही मात्र दो करोड़ रुपये में बैनामा कराया था।

यह बताने के साथ पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया था कि दो करोड़ की भूमि 18.50 करोड़ में एग्रीमेंट कराने के पीछे करोड़ों का घोटाला किया गया। इस विषय में दस्तावेजों की पड़ताल करने पर सामने आया कि इस भूमि का चार मार्च 2011 को यानी 10 साल पूर्व ही मो. इरफान, हरिदास एवं कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया था।

तीन साल बाद इस एग्रीमेंट का नवीनीकरण भी कराया गया। यह भूमि 2017 में हरिदास एवं कुसुम पाठक ने भू स्वामी नूर आलम, महफूज आलम एवं जावेद आलम से बैनामा करा ली और हरिदास एवं कुसुम पाठक से यह भूमि 17 सितंबर 2019 को रविमोहन तिवारी, सुल्तान अंसारी आदि आठ लोगों ने एग्रीमेंट करा ली और रविमोहन एवं सुल्तान अंसारी ने ही 18 मार्च को यह भूमि बैनामा करा ली।

सर्किल रेट से कम खरीदा ट्रस्ट ने भूमि

सपा के पूर्व मंत्री जिस भूमि को दो करोड़ का बता कर उसे 18.50 करोड़ में क्रय किए जाने पर आपत्ति जता रहे हैं, तय सर्किल रेट चार हजार आठ सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भी उसकी मालियत पांच करोड़ 79 लाख 84 हजार तय होती है।

जबकि मालियत से इतर बाग बिजेसी एवं रामनगरी के आस-पास की जमीन का मौजूदा औसत मूल्य दो हजार रुपए प्रति वर्ग फीट है और इस हिसाब से देखें तो ट्रस्ट ने संबंधित भूमि के लिए औसत मूल्य से भी काफी कम कीमत चुकाई है। संबंधित भूमि का क्षेत्रफल 12 हजार 80 वर्ग मीटर यानी एक लाख 29 हजार 981 वर्ग फीट है और इस हिसाब से ट्रस्ट ने 1423 रुपये प्रति वर्ग फीट से जमीन की कीमत अदा की है।

संतों में आक्रोश, आरोप को बताया कुत्सित साजिश 

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर पूर्व मंत्री एवं सपा नेता के आरोप से साधु-संत आक्रोशित हो उठे हैं। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने कहा, तकनीकी आधार पर छिद्रांवेषण करने के लिए लोग स्वतंत्र हैं और उनकी संतुष्टि के लिए मामले की जांच भी कराई जा सकती है, किंतु ट्रस्ट की ईमानदारी और रामलला के प्रति निष्ठा पर सवाल उठाना सरासर अनर्गल है।

निर्वाणी अनी अखाड़ा के महासचिव एवं हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत गौरीशंकरदास के अनुसार जो लोग मंदिर निर्माण में कदम-कदम पर बाधा डालते रहे और श्रीराम का अस्तित्व नकारने की साजिश रचते रहे, आज वे नए सिरे से कुचक्र रचने की फिराक में हैं।

हालांकि ऐसी साजिश रचकर वे स्वयं के ही जाल में फंसने वाले हैं। तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंसाचार्य ने तो आरोप लगाने वाले पूर्व मंत्री को चेतावनी दी है कि वे आरोप साबित करें, नहीं तो उन पर एक हजार करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दायर कराया जाएगा। हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत राजूदास ने भी 50 करोड़ की मानहानि का मुकदमा करने की चेतावनी दी है।

किसी के साथ कोई धोखा नहीं : सुल्तान

ट्रस्ट के नाम संबंधित भूमि का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करने वाले सुल्तान अंसारी का कहना है कि संबंधित भूमि के क्रय-विक्रय में न हमने और न ट्रस्ट ने कोई धोखा किया है। घपले का आरोप लगाने वाले बेवजह के आरोप लगा रहे है।

सच्चाई यह है कि एक दशक पूर्व अयोध्या में जब जमीन की कीमत काफी कम थी, तभी हम लोगों ने दो करोड़ में संबंंधित भूमि का एग्रीमेंट कराया था। यह कहना गलत है कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दी गई भूमि में जमकर मलाई काटी गई, जबकि सच्चाई यह है कि राम मंदिर में सहयोग को ध्यान में रखकर इस जमीन को बाजार भाव से काफी कम में एग्रीमेंट किया गया है।

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