बसवराज बोम्मई ने संभाली कर्नाटक की कमान, पिता एस.आर.बोम्मई भी रहे चुके हैं सूबे के सीएम

टीम भारत दीप |
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शपथ ग्रहण से पहले ही मुख्यमंत्री बसवाराज बोम्मई एक्शन में नजर आए।
शपथ ग्रहण से पहले ही मुख्यमंत्री बसवाराज बोम्मई एक्शन में नजर आए।

कर्नाटक में अब बुधवार से बसवराज सरकार की शुरुआत हो गई है। आज बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। बोम्मई को राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई। अब वे राज्य के 23वें मुख्यमंत्री बन गए है। बसवराज इससे पहले येदियुरप्पा सरकार में गृह और कानून जैसे अहम मंत्रालय देख रहे थे।

बेंगलुरू। बीते काफी समय में कर्नाटक की सियासत में चल रही कानाफूसी अब बसवराज बोम्मई द्वारा सीएम का पद सम्भालने के बाद बंद होती नजर आ रही है। दरअसल  कर्नाटक में अब बुधवार से बसवराज सरकार की शुरुआत हो गई है। आज बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। बोम्मई को राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई।

अब वे राज्य के 23वें मुख्यमंत्री बन गए है। बसवराज इससे पहले येदियुरप्पा सरकार में गृह और कानून जैसे अहम मंत्रालय देख रहे थे। बताया गया कि नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को येदियुरप्पा का बेहद चहेता माना जाता है। विधायक दल की बैठक में येदियुरप्पा ने ही बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा। बताया गया कि बोम्मई को जनता दल से बीजेपी में लाने वाले येदियुरप्पा ही माने जाते हैं।

वहीं लिंगायत समुदाय से आने वाले बोम्मई के पिता एस आर बोम्मई भी कर्नाटक के सीएम रह चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शपथ ग्रहण से पहले ही मुख्यमंत्री बसवाराज बोम्मई एक्शन में नजर आए। उन्होंने कहा कि मैं आज बाद में कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करूंगा। उसके बाद, मैं राज्य में COVID-19 और बाढ़ के हालात की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करूंगा।

वहीं शपथ ग्रहण से पहले बसवराज बोम्मई भगवान श्री मारुति मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। बताया जाता है कि बोम्मई की छवि साफ है। साथ ही येदियुरप्पा के करीबी और चहेते भी हैं। बताया गया कि बीजेपी मौजूदा हालातों में येदियुरप्पा को नाराज करने का रिस्क नहीं उठा सकती है। शायद यही कारण है कि येदियुरप्पा के कहे गए नाम पर भाजपा नेतृत्व को मोहर लगानी पड़ी है।

वहीं इसे येदियुरप्पा का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है,क्योंकि बोम्मई येदियुरप्पा के खास मोहरों में गिने जाते हैं। जानकारी के मुताबिक बोम्मई लिंगायत चेहरा हैं और बीजेपी से तीन बार विधायक रहे हैं। कहा जाता है कि लिंगायत समुदाय बीजेपी के ट्रेडिशनल वोटर्स रहे हैं और राज्य में करीब 19 फीसद हैं। वहीं खुद येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से आते हैं।

ऐसे में बीजेपी के सामने लिंगायत को चुनने की चुनौती थी। वहीं बोम्मई के राजनीतिक करियर की बात करें तो वह पहले जेडीएस में थे। दो बार एमएलसी रहे। वहीं 2008 में उन्होंने बीजेपी का दामन थामा और तब से तीन बार विधायक रहे है। बताया गया कि उनके पिता एस आर बोम्मई भी पहले मुख्यमंत्री रहे हैं और एचडी देवगौड़ा सरकार में केंद्रीय मंत्री थे।

बताते चलें कि सोमवार को बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद मंगलवार की सुबह कर्नाटक के प्रभारी अरुण सिंह और ऑब्जर्वर चुने गए धर्मेंद्र प्रधान और किशन रेड्डी बेंगलुरु पहुंचे थे, जिसके बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई थी। इसके बाद ही बसवराज बोम्मई का सीएम पद के लिए नाम ऐलान कर दिया गया था।


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