कोरोना का ऐसा खौफ कि कंधा देने नहीं आ रहा कोई, पढ़िएं दिल को झकझोरने वाली खबर

टीम भारत दीप |

जब घर शव आया तो खौफ में पड़ोसियों ने अपना दरवाजा तक बंद कर लिया।
जब घर शव आया तो खौफ में पड़ोसियों ने अपना दरवाजा तक बंद कर लिया।

मौत की खबर सुनकर पड़ोसी आपस में चर्चा तो करते रहे लेकिन कोई उनका गम बांटने के लिए नहीं आया। लोग कोरोनावायरस के डर से घर से बाहर तक नहीं निकले। कोई भी व्यक्ति सूरजपाल के बेटे को कांधा देने नहीं आया।

लखनऊ। प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर दिन- प्रतिदिन तेज होती जा रही है। संक्रमितों और मृतकों की संख्या बढ़ने से लोगों में अब कोरोना का डर इस कदर बढ़ने लगा है कि लोग अब मानव धर्म को भी भूलने लगे है।

मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं भी अब सामने आई है। जहां पहले लोग किसी कि मृत्यु पर एकत्रित होकर अंतिम संस्कार में शामिल होते थे, वहीं अब लोग इससे पीछे हट रहे है।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक पिता को अपने बेटे की कब्र अकेले खोदनी पड़ी और खुद उसे दफन करना पड़ा, क्योंकि अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए न तो कोई रिश्तेदार सामने आया और नही कोई न ही पड़ोसी।

ऐसे में मजबूरी में पिता ने खुद कब्र खोदी और बेटे को दफन किया। इसी तरह का एक मामला गोरखपुर में देखने को सामने आया बुजुर्ग की मौत के बाद घर वाले शव का प्रशासन की मदद से किया गया था। 

प्रदेश की राजधानी लखनऊ चिनहट के लौलाई उपकेंद्र के पीछे के रहने वाले सूरज पाल से जुड़ा हुआ है।  उन्होंने बताया कि एक हफ्ता पहले उनके बेटे को बुखार आ गया था, घर पर ही इलाज चल रहा था।

2 दिन पहले उसकी मौत भी हो गई। मौत की खबर सुनकर पड़ोसी आपस में चर्चा तो करते रहे लेकिन कोई उनका गम बांटने के लिए नहीं आया। लोग कोरोनावायरस के डर से घर से बाहर तक नहीं निकले।

पिता ने खोदी अकेली कब्र

कोई भी व्यक्ति सूरजपाल के बेटे को कांधा देने नहीं आया। इस वजह से मजबूरी में लौलाई उप केंद्र के पीछे नाले के पास उसने खुद ही कब्र खोदी फिर बेटे की लाश को दफन करना दिया। 

इसी तरह गोरखपुर में राम जानकी नगर में पिता की मौत के बाद जब शिक्षक बेटे की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल से घर शव आया तो खौफ में पड़ोसियों ने अपना दरवाजा तक बंद कर लिया।

प्रशासन की मदद से हुआ अंतिम संस्कार

इसके बाद शिक्षक के भाई और भतीजे भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। एक भाई की हालत गंभीर बताई जा रही है। अब ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए भी मुश्किल हो रही थी।

इस बीच कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले विजय श्रीवास्तव को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने फोन कर प्रशासन को सूचना दी। तब जाकर 6 घंटे के बाद शव वाहन पहुंचा और मरने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार हो सका।


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