प्राइवेट संस्थान सरकार के तय किए रेट के अनुसार ही अब वसूल सकेंगे मरीजों से शुल्क

टीम भारत दीप |

निजी अस्पतालों में निर्धारित शुल्क सभी सुविधाओं को शामिल करते हुए एक पैकेज है।
निजी अस्पतालों में निर्धारित शुल्क सभी सुविधाओं को शामिल करते हुए एक पैकेज है।

अगर निजी प्रयोगशाला द्वारा स्वयं सैंपल लेता हैं तो उसके लिए 900 जीएसटी शुल्क के साथ वसूल सकता है। राज्य सरकार की विहित प्राधिकारी द्वारा निजी प्रयोगशाला को सैंपल देने पर 500 रुपये जीएसटी के साथ शुल्क निर्धारित किया गया है।

लखनऊ। प्रदेश में तेजी से बढ कोरोना वायरस की वजह से सरकारी संसाधनों की कमी हो रही है। प्राइवेट चिकित्सा संस्थान मनमानी शुल्क वसूल रहे है। इन सबसे बचने प्रदेश सरकार ने पहल करते हुए प्राइवेट संस्थानों में होने वाले इलाज खर्च और जांच रिपोर्ट का रेट तय कर दिया। 

प्रदेश सरकार ने राज्य में संचालित निजी लैब और अस्पतालों में जांच और इलाज का जो रेट तय ​किया है वह भारत सरकार के नीति आयोग के अध्यक्ष डॉ. विनोद पाल की तरफ से की गई संस्तुतियों को मानते हुए किया गया है।  प्रदेश सरकार ने प्राइवेट हॉस्पिटल और लैब के लिए जो गाइलाइंस तय की हैं, उन्हें न मानने पर कार्रवाई की बात शासनादेश में कही गई है।

निजी अस्पतालों में निर्धारित शुल्क सभी सुविधाओं को शामिल करते हुए एक पैकेज है। इस पैकेज में कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज करने के लिए बेड, भोजन और अन्य सुविधाएं जैसे नर्सिंग केयर, मॉनिटरिंग, इमेजिंग सहित अन्य आवश्यक जांच ए विजिट कंसल्ट चिकित्सक परीक्षण आदि की सुविधाएं भी शामिल की गई हैं।

प्राइवेट प्रयोशालाओं में जांच का रेट 

निजी चिकित्सालयों द्वारा निजी प्रयोगशालाओं को भेजे गए सैंपल की जांच के लिए यदि कोई मरीज प्रयोगशाला पर जाकर कोविड-19 की जांच कराता है तो 700 रुपये जीएसटी के साथ उसे अदा करना होगा।

अगर निजी प्रयोगशाला द्वारा स्वयं सैंपल लेता हैं तो उसके लिए 900 जीएसटी शुल्क के साथ वसूल सकता है। राज्य सरकार की विहित प्राधिकारी द्वारा निजी प्रयोगशाला को सैंपल देने पर 500 रुपये जीएसटी के साथ शुल्क निर्धारित किया गया है।

राज्य सरकार ने आइसोलेशन बेड ऑक्सीजन एवं सहयोगी सुविधाओं के साथ हर दिन  एनएबीएच एक्रीडेटेड चिकित्सालयों के लिए 10 हजार रुपये, तथा नॉ एक्रीडेटेड   चिकित्सालयों के लिए 8 हजार रुपये शुल्क निर्धारित किया है। इसमें कम गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन एवं आवश्यक उपचार भी शामिल है। 

आईसीयू बेड 15 हजार रुपये

आईसीयू बेड बिना वेंटीलेटर साहित प्रतिदिन की दर एनएबीएच एक्रीडेटेड चिकित्सालय के लिए 15 हजार रुपये और नॉन एक्रीडेटेड चिकित्सालयों के लिए 13 हजार रुपये निर्धारित की गई है। इसमें हाईपरटेंशन एवं अनियंत्रित डायबिटीज से पीड़ित मोरबिडिटीज रोगी भी शामिल किए गए हैं। 

आईसीयू बेड वेंटिलेटर सहित प्रतिदिन की दर एनएबीएच एक्रीडेटेड चिकित्सालय के लिए 18 हजार रुपये और नॉन एक्रीडेटेड चिकित्सालय के लिए 15 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। इस श्रेणी में इनवेसिव मैकेनिकल वेंटीलेशन और नॉन इनवेसिव मैकेनिकल वेंटीलेशन जैसे एचएफएनसी और बीआईपीए की आवश्यकता वाले रोगियों का उपचार शामिल है।

निजी अस्पतालों में निर्धारित शुल्क सभी सुविधाओं को शामिल करते हुए एक पैकेज है। इस पैकेज में कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार प्रदान किए जाने के लिए बेड, भोजन और अन्य सुविधाएं जैसे नर्सिंग केयर, मॉनिटरिंग, इमेजिंग सहित अन्य आवश्यक जांच ए विजिट कंसल्ट चिकित्सक परीक्षण आदि की सुविधाएं भी शामिल की गई हैं. 

को-मार्बिडिटीज रोगियों का उपचार और अल्प अवधि की हीमोडायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में शामिल की गई है। उक्त दरें निर्धारण को रोगियों हेतु राष्ट्रीय लाइन के अनुरूप निर्धारित की गई है। किंतु प्रयोग उपचार जैसे रैमडेसिविर आदि को इस पैकेज में शामिल नहीं किया गया है। इस देर में कोविड-19 के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट और आईएल 6 टेस्ट को शामिल नहीं किया गया है। उक्त दर पीडियाट्रिक रोगियों के ऊपर ही लागू किया जाएगा।

राष्ट्रीय गाइड लाइन करना होगा पालन

गर्भवती महिलाएं एवं पुरुषों नॉर्मल सी सेक्शन तथा नवजात शिशु के उपचार पर होने वाले व्यय किए को चिकित्सालय द्वारा आयुष्मान भारत योजना के प्रचलित दर पर अलग से लिया जाएगा।

अगर आयुष्मान भारत के लाभार्थी इस संबंध में कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।निजी अस्पतालों को कोविड-19 के रोगियों को भर्ती किए जाने के लिए राष्ट्रीय गाइडलाइंस का अनुपालन करना अनिवार्य होगा।

उक्त अस्पताल में दोबारा चिकित्सालय एवं चिकित्सक की स्टाफ के लिए क्वारंटीन के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों का अनुपालन करना होगा। क्रिटिकल केयर के लिए जिलों के चिकित्सालयों में बेड की कमी होने की दशा में शासनादेश के तहत शर्तें प्रावधान लागू होंगे।


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