पिता की पेंशन निकालने तीन-तीन मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर पहुंची बेटी, शक होने पर भागी

टीम भारत दीप |

पिता का नाम महबूब अली दर्ज है और पता मकराबर्टगंज का है। जून 2001 में यह खाता खोला गया था।
पिता का नाम महबूब अली दर्ज है और पता मकराबर्टगंज का है। जून 2001 में यह खाता खोला गया था।

एक महिला ने उस खाते से राशि निकालने के लिए मृतक के एक नहीं तीन-तीन मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर पहुंची, भेद खुलने के बाद वह वहंा से गायब हो गई। छानबीन में ये भी खुलासा हुआ कि 40 वर्ष के व्यक्ति के खाते में दस साल से वृद्धावस्था पेंशन आ रही थी

कानपुर। कानपुर की एक बैंक में गत दिवस एक अजीब मामला सामने आया। यहां एक मृतक के खाते में जमा पेंशन राशि को निकालने के लिए एक नहीं तीन बार मार दिया गया। 


एक महिला ने उस खाते से राशि निकालने के लिए मृतक के एक नहीं तीन-तीन मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर पहुंची, भेद खुलने के बाद वह वहंा से गायब हो गई।

छानबीन में ये भी खुलासा हुआ कि 40 वर्ष के व्यक्ति के खाते में दस साल से वृद्धावस्था पेंशन आ रही थी। बैंक ने खाते को सीज कर दिया है और किसी भी तरह के भुगतान पर रोक लगा दी है।

जानकारी के अनुसार कानपुर के स्टेट बैंक आफ इंडिया की ग्वालटोली शाखा में मोहम्मद हलीम के नाम से खाता संख्या 10388277331 है। पिता का नाम महबूब अली दर्ज है और पता मकराबर्टगंज का है।

जून 2001 में यह खाता खोला गया था। खाते में 52.899 रुपये जमा  हैं। एक अप्रैल 2011 के बाद से खाता आपरेट नहीं हुआ है। खाते में वृद्धावस्था पेंशन के अलावा ब्याज आता है। पिछले साल दिसंबर तक खाते में पेंशन आई।

यूं हुआ तीन मृत्यु प्रमाणपत्र का खुलासा

27 जनवरी को खुद को अर्शी खान बताने वाली युवती बैंक शाखा आई और बताया कि मेरे पिता हलीम का देहांत 2017 में हो गया था। उसने हलीम का 2017 का डेथ सर्टिफिकेट भी दिया। इस पर उसे 2017 तक की रकम का स्टेटमेंट दिया गया।

खाते के भुगतान से जुड़े दस्तावेज उसने भरकर दिए। इनके साथ उसने 2011 का डेथ सर्टिफिकेट लगाया। बैंक अफसरों ने पूछा कि आप ने पहले 2017 का डेथ सर्टिफिकेट लगाया, अब 2011 का अर्शी जवाब नहीं दे सकी।

बैंक ने ओरिजनल डेथ सर्टिफिकेट की मांग की। इस पर वह युवती बाहर गई और थोड़ी देर में 2018 का डेथ सर्टिफिकेट पेश कर दिया। एक ही व्यक्ति के 3-3 मृत्यु प्रमाण पत्र देखकर  बैंक अफसर चकरा गए।

बैंक के अधिवक्ता को बुलाया गया। इस बीच खुद को हलीम की बेटी बताने वाली महिला वहां से गायब हो गई। बैंक ने  खाते के भुगतान पर रोक लगा दी है। इस मामले में हिन्दुस्तान अखबार ने कानपुर  नगर निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र विभाग से तीनों की जांच कराई तो वर्ष 2011 का डेथ सर्टिफिकेट असली और बाकी दो फर्जी निकले।

40 साल में वृद्धावस्था पेंशन कैसे

बैंक के रिकार्ड में मोहम्मद हलीम की जन्मतिथि जनवरी 1980 दर्ज है। यानि वह अब 40 साल का होता। उसकी बेटी बन कर पहुंची युवती की उम्र करीब 30 साल थी। यहीं से बैंक को शक हो गया था।

40 साल के युवक के खाते में 10 साल से वृद्धावस्था पेंशन कैसे आ रही थी, इसकी भी जांच हो रही है। बैंक में दर्ज पते पर जब हिन्दुस्तान अखबार  के संवाददाता ने  जाकर पड़ताल की तो पड़ोस के लोगों ने बताया कि हलीम का परिवार सात-आठ साल पहले यहां से चला गया है और संभवतः हलीम का देहांत हो गया है।

इस विषय में हाकिम सिंह, शाखा प्रबंधक, एसबीआई, ग्वालटोली का कहना है कि एक ही व्यक्ति के तीन-तीन मृत्यु प्रमाण पत्र   के मामले की जांच की जा रही है। खाते से किसी भी तरह के भुगतान पर रोक लगा दी गई है।


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