बंगाल में बीजेपी की गुगली में फंस जाएंगी दीदी, सौरव गांगुली के आने से यूं बदलेगा समीकरण

टीम भारत दीप |
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पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के लिए सौरव गांगुली बीजेपी के लिए  इसलिए भी जरूरी हैं ।
पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के लिए सौरव गांगुली बीजेपी के लिए इसलिए भी जरूरी हैं ।

अब सबकी निगाह 7 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी की होने वाली सभा पर है। माना जा रहा है कि इस सभा में सौरव गांगुली, मिथुन चक्रवर्ती समेत कई दिग्गज भाजपा के साथ आ सकते है। जैसी कल्पना की जा रही है, अगर वैसा ही हुआ तो आने वाला चुनाव एक तरफा बीजेपी के पक्ष में हो सकता है।

पश्चिम बंगाल। वैसे तो एक साथ पांच राज्यों में चुनाव होने है, लेकिन सबका ध्यान पश्चिम बंगाल में बन-बिगड़ रहे समीकरण पर लगा हुआ है। बीजेपी शुरू से ही टीएमसी के कदावर नेताओं के भरोसे मैदान मारने की फिराक में रहीं है।  

एक के बाद एक नेता दीदी का साथ छोड़ कर बीजेपी के साथ हो रहे है। अब सबकी निगाह 7 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी की होने वाली सभा पर है। माना जा रहा है कि इस सभा में सौरव गांगुली, मिथुन चक्रवर्ती समेत कई दिग्गज भाजपा के साथ आ सकते है।

जैसी कल्पना की जा रही है, अगर वैसा ही हुआ तो आने वाला चुनाव एक तरफा बीजेपी के पक्ष में हो सकता है। क्योंकि टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार अभी तक पश्चिम बंगाल में बंगाल की बेटी के नारे के साथ मैदान मारने की रणनीति पर काम रहे थे ।

ऐसे में सौरव गांगुली के आने के बाद दीदी बनाम दादा की लड़ाई हो सकती है। वैसे भी सौरव गांगुली को प्यार से दादा कहा जाता है। दादा एक तरह से उनके नाम का पर्याय हो गया है। बंगाली में दादा का मतलब होता है बड़ा भाई। 

7 मार्च बंगाल के लिए बड़ा दिन

सौरव गांगुली के साथ ही बंगाल के बेहद लोकप्रिय एक्टर प्रसेनजीत और मिथुन चक्रवर्ती को भी पार्टी में लाने की कोशिश में सफल होती दिख रही है। ये सभी 7 मार्च  की रैली के दौरान ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

यदि ये तीन नाम बीजेपी से जुड़ जाते हैं तो बंगाल का मौजूदा राजनीतिक सीन पूरी तरह बदल जाएगा,   क्योंकि तीनों की ही बंगाल में बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है। भारतीय क्रिकेट टीम को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले सौरव गांगुली यदि बीजेपी के साथ मैदान में उतरते है तो निश्चित ही वह नाम के मुताबिक काम भी करेंगें। गांगुली की पॉपुलेरिटी से बीजेपी के लिए वोट पाना आसान होगा। 

सौरव हो सकते है सबसे बड़े स्टार

पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के लिए सौरव गांगुली बीजेपी के लिए  इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि पार्टी में अब भी कोई ब बड़ा चेहरा नहीं है जिसके बल पर भीड़ को वोट में बदला जाए।  

सीएम बनने की रेस में सबसे आगे दिलीप घोष हैं, लेकिन उनकी पॉपुलेरिटी इन सेलेब्स जैसी नहीं है।सौरव के मैदान में आने से दीदी बनाम दादा के नारे से बीजेपी मैदान में भी मजबूत होगी, इसके अलाव बंगला की बेटी का जवाब बंगाल के बेटे से देने की तैयारी हो रही है। 

गांगुली की बीजेपी से नदजीकियां कई बार सामने आईं

बीजेपी  सौरव की नजदीकी होने के कई संकते मिलते रहे हैं। जैसे वे नेताजी सुभाष बोस की 125वीं जयंती पर हुए कार्यक्रम में दिखे थे, जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की थी।

इसके बाद बंगाल में बीजेपी के थिंक टैंक माने जाने वाले अर्निबान गांगुली और भाजपा की कोर कमेटी के साथ भी गांगुली की फोटो सामने आई थी। पिछले साल दिसंबर में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी सौरव से मुलाकात की थी।

हाल ही में जब वे हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे तो गृहमंत्री अमित शाह और पीएम मोदी ने फोन कर उनका हाल पूछा और बंगाल के भाजपा नेता उन्हें देखने हॉस्पिटल पहुंचे थे।

ममता बनर्जी बीजेपी को लगातार बाहरी बता रही हैं। कह रही हैं कि, गुजरात या दिल्ली से कोई बंगाल को नहीं चलाएगा। ऐसे में गांगुली के आने पर बीजेपी को एक बंगाली आइकॉन मिल जाएगा। बाहरी का मुद्दा खत्म हो जाएगा। गांगुली की पॉपुलेरिटी का पार्टी को पूरे प्रदेश में फायदा होगा। 


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