यूपी बोर्डः 100 साल में पहली बार बिना परीक्षा पास होेंगे 12वीं के छात्र, कभी 5 छात्रों ने दिया एग्जाम

टीम भारत दीप |

इंटरमीडिएट में इस बार करीब 26 लाख छात्र पंजीकृत थे।
इंटरमीडिएट में इस बार करीब 26 लाख छात्र पंजीकृत थे।

सीबीएसई 12वीं की परीक्षा निरस्त होने के फैसले के बाद यूपी बोर्ड की इंटर परीक्षा भी निरस्त होना तय ही माना जा रहा था।

लखनऊ। सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की परीक्षा को रद्द करने का बड़ा फैसला ले लिया है। गुरुवार को फैसले से पहले लोक भवन में सीएम योगी, डिप्टी सीएम व शिक्षा विभाग के अधिकारियों की करीब एक घंटे तक बैठक चली। इसके बाद सीएम योगी की हरी झंडी मिलते ही परीक्षा रद्द करने का फैसला हुआ। 

यूपी बोर्ड की स्थापना के 100 साल में यह पहला मौका है जब इंटरमीडिएट और हाईस्कूल के छात्र बिना परीक्षा के प्रमोट कर दिए जाएंगे। हालांकि सीबीएसई 12वीं की परीक्षा निरस्त होने के फैसले के बाद यूपी बोर्ड की इंटर परीक्षा भी निरस्त होना तय ही माना जा रहा था। 

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना 1921 में हुई थी। पहली साल इंटरमीडिएट के 5 और हाईस्कूल के 5500 छात्रों के लिए भी परीक्षा का आयोजन किया गया था। इस साल जब यूपी बोर्ड को 100 साल पूरे हो चुके हैं तो कोरोना महामारी के कारण करीब 55 लाख छात्रों के लिए परीक्षा कराना संभव नहीं हो पा रहा था। 

इससे पहले हाईस्कूल की परीक्षा रद्द होने के समय उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा की ओर से बताया गया था कि यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों की जुलाई के दूसरे हफ्ते में परीक्षा हो सकती है। हालांकि इस पर निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में होने की बात डिप्टी सीएम ने कही थी। बता दें कि इस साल इंटरमीडिएट में 26 लाख विद्यार्थी पंजीकृत थे।

गुरूवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की बैठक सुबह 11 बजे दिन लोकभवन में शुरू हुई। करीब एक घंटे की बैठक के बाद इंटरमीडिएट की परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया गया। अब छात्रों के प्रमोशन के लिए किस प्रकार मार्किंग की जाएगी, इसका एलान होना अभी बाकी है। 

पंचायत चुनावों के कारण टलती रही परीक्षा
बता दें कि शैक्षिक सत्र के बदलाव के बाद से इंटरमीडिएट की परीक्षा का आयोजन फरवरी माह में हो रहा है। पिछली बार भी फरवरी माह में यूपी बोर्ड की परीक्षा संपन्न हो चुकी थी। इस बार पंचायत चुनाव पर असमंजस के चलते परीक्षा कार्यक्रम आगे बढ़ता रहा। अब कोरोना संकट के विकराल रूप लेने के कारण परीक्षा कराना संभव नहीं हो पा रहा था। 

विपक्ष को एक और मौका नहीं 
मालूम हो कि बोर्ड परीक्षा न कराने को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बना रहा था। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और यूपी में सपा ने ट्विटर पर अभियान चलाया। इधर कोरोना के कारण इस बार मौत का आंकड़ा बढ़ने के चलते पहले से बैकफुट पर चल रही सरकार विपक्ष को दूसरा मौका नहीं देना चाहती थी।


संबंधित खबरें