मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की छात्रा से दुष्कर्म और हत्या मामले में संदिग्धों की डीएनए टेस्ट रिपोर्ट हाईकोर्ट ने मांगी

टीम भारत दीप |

दो साल पहले भोगांव के विद्यालय में छात्रा का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था।
दो साल पहले भोगांव के विद्यालय में छात्रा का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था।

मैनपुरी मामले को लेकर लगाई जनहित याचिका की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रगति रिपोर्ट से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश के 20 दिन बाद संदिग्ध 170 लोगों का सैंपल डीएनए जांच के लिए लिया गया।

प्रयागराज: यूपी के मैनपुरी​ जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय की छात्रा से दुष्कर्म और हत्या के मामले में जांच की धीमी प्रगति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असंतोष जताया है। सोमवार को कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से विवेचना की सील बंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट पेश की गई।

मैनपुरी मामले को लेकर लगाई जनहित याचिका की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रगति रिपोर्ट से असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश के 20 दिन बाद संदिग्ध 170 लोगों का सैंपल डीएनए जांच के लिए लिया गया।

कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई की तिथि 25 अक्तूबर तक डीएनए रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस लापरवाही पर जज ने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता तो डीजीपी कोर्ट में हाजिर हों। याचिका की सुनवाई 25 अक्तूबर को होगी। मामले की विवेचना विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रही है। 

 छात्रा का फांसी पर लटका मिला था शव 

मालूम हो कि मैनपुरी में दो साल पहले भोगांव के विद्यालय में छात्रा का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला था। मामले में तत्कालीन प्रधानाचार्य, वार्डन, एक छात्र और एक अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। नवंबर में  जांच में छात्रा के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। लापरवाही बरतने पर तत्कालीन एसपी और डीएम को हटा दिया गया था।

इसी मामले में जांच के लिए आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई थी, किंतु एसआईटी भी मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। इस मामले को लेकरमहेंद्र प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। जिस पर हाईकोर्ट ने बीते 15 सितंबर को डीजीपी को तलब किया था। जवाब से नाराजगी जताते हुए डीजीपी को फटकार लगाई थी

16 सितंबर को हाईकोर्ट ने मामले की जांच छह हफ्ते में पूरा करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद एडीजी कानपुर भानू भाष्कर के नेतृत्व में नई एसआईटी गठित की गई है, जो जांच में जुटी है। सोमवार को एसआईटी ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। जांच की धीमी गति पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।

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