तूफान बन रहा संक्रमण: देश में कोरोना के 2 लाख 64 हजार नए मामले,एक लाख से ज्यादा लोग हुए ठीक

टीम भारत दीप |

ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या बढ़कर 5,753 हो गई है।
ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या बढ़कर 5,753 हो गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में गुरुवार के मुकाबले आज 6.7% ज्यादा केस सामने आए हैं। गुरुवार को देश में 2,47,417 मामले सामने आए थे जबकि आज ये संख्या 2,64,202 हो गई है। यानी कल के मुकाबले संक्रमितों की मामले 16,785 बढ़े हैं। डेली पाजिटिविटी रेट बढ़कर 14.78% हो गया है। वहीं, ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या बढ़कर 5,753 हो गई है।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की तीसरी लहर लगातार तेजी से आगे बढ़ रही है। बीते 24 घंटे में ढाई लाख से ज्यादा लोग संक्रमित मिले है। वहीं ठीक होने वालों का आंकड़ा भी एक लाख से ज्यादा का है। कोरोना की तीसरी लहर में ऐसा पहली बार हुआ है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि आज कोरोना के 2,64,202 नए मामले सामने आए हैं। हालांकि राहत की बात रही कि इस दौरान 1,09,345 ठीक भी हुए हैं। देश में कोरोना सक्रिय मामलों की संख्या सक्रिय 12,72,073 हो गई है।

कल के मुकाबले 6.7% नए केस

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में गुरुवार के मुकाबले आज 6.7% ज्यादा केस सामने आए हैं। गुरुवार को देश में 2,47,417 मामले सामने आए थे जबकि आज ये संख्या 2,64,202 हो गई है। यानी कल के मुकाबले संक्रमितों की मामले 16,785 बढ़े हैं। डेली पाजिटिविटी रेट बढ़कर 14.78% हो गया है। वहीं, ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या बढ़कर 5,753 हो गई है।

ट्रेनों में अब बिना मास्क एंट्री नहीं

वहीं लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए अब से ट्रेन यात्रियों को रेलवे स्टेशन जाने के लिए भी मास्क पहनना अनिवार्य होगा।  रेलवे ने नो मास्क, नो एंट्री अभियान की शुरुआत की है। रेलवे ने हर रेलवे स्टेशन पर गेट से लेकर ट्रेन के अंदर तक चेकिंग अभियान को तेज कर दिया है ताकि कोई भी बिना मास्क न मिले और कोरोना विस्फोट का खतरा न पैदा हो।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड के इलाज के लिए दो दवाओं को मंजूरी दी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बैरिसिटिनिब दवा को गंभीर मरीजों के लिए मंजूरी दी गई है। यह दवा र्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के इलाज में इस्तेमाल होती है। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडी सोत्रोविमैब को गैर गंभीर कोविड मरीजों के लिए मंजूरी दी है। साथ ही कहा है कि सोत्रोविमैब उन लोगों को ही दी जानी चाहिए जिनके अस्पताल में भर्ती होने का रिस्क ज्यादा हो।

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