कानपुर के पुलिसकर्मियों की शहादत पर उभरा जवाहर बाग की वीरनारी का दर्द, ये कब तक चलेगा!

टीम भारत दीप |
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शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार (फाइल फोटो)
शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार (फाइल फोटो)

मथुरा जिले में 2 जून 2016 को अवैध कब्जाधारियों से राजकीय उद्यान जवाहर बाग को मुक्त कराने गई पुलिस टीम पर कब्जाधारियों ने हमला बोल दिया था। इसमें मथुरा के तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार की मौत हो गई थी।

सोशलमीडिया डेस्क। उत्तर प्रदेश के कानपुर में चैबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू में पुलिस टीम पर हमले में सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की शहादत पर मथुरा के जवाहर बाग में शहीद हुए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी का दर्द उभर आया है। जस्टिस फाॅर मुकुल नाम से बने फेसबुक पेज पर उन्हों ने कविता के माध्यम से अपनी पीड़ा को बयां किया। इसके साथ ही जिम्मेदारों से सवाल करते हुए पूछा है कि आखिर ये कब तक चलेगा।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में 2 जून 2016 को अवैध कब्जाधारियों से राजकीय उद्यान जवाहर बाग को मुक्त कराने गई पुलिस टीम पर कब्जाधारियों ने हमला बोल दिया था। इसमें मथुरा के तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार की मौत हो गई थी। 

गुरूवार को कानपुर के चैबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर पहले से घात लगाए बैठे बदमाशों ने हमला बोल दिया। इसमें एसओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र समेत तीन एसओ और 4 कांस्टेबल की मौत हो गई। घटना ने प्रदेश सरकार को हिलाकर रख दिया है। वहीं एक बार फिर पुलिस के जवानों की शहादत से पूर्व में शहीद हुए जवानों के परिवारीजन भी गमगीन हैं। 

एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने जस्टिस फाॅर मुकुल नाम से बने फेसबुक पेज पर अपनी कविता पोस्ट की। पहले आप इसे पढ़िए- 

अपनी कविता में उन्होंने कानपुर के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद के परिवार को होने वाली पीड़ा तो जाहिर की है, उसके साथ ही सिस्टम और सरकार से भी तीखे सवाल किए कि आखिर कब तक इस प्रकार संसाधनों के अभाव में पुलिसकर्मियों की जान जाती रहेगी। 

जवाहर बाग पर अब तक इंसाफ नहीं
बता दें मथुरा के जवाहर कांड के दोषियों को आजतक सजा नहीं मिली है। घटना की जांच पर एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के भाई कई बार सवाल उठा चुके हैं। अपने भाई को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने फेसबुक पर जस्टिस फाॅर मुकुल नाम से पेज बनाकर मुहिम शुरू की। आज कानपुर की घटना ने शहीद मुकुल द्विवेदी और अन्य शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार का दर्द एक बार फिर से हरा कर दिया है। 


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