पुलिस को छकाया फिर धप्पा बोलकर ‘30 लाख ले उड़े‘ किडनैपर, अब कहानी में नया मोड़

टीम भारत दीप |
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लुकाछिपी के इस खेल में पीड़ित परिवार को कुछ भी हाथ नहीं लगा।
लुकाछिपी के इस खेल में पीड़ित परिवार को कुछ भी हाथ नहीं लगा।

अब की बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संजीत यादव अपहरण मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार में नैतिकता का अपहरण हो गया है।

कानपुर। बिकरू के विकास दुबे का मामला अभी ठंडा पड़ा नहीं और कानपुर पुलिस फिर सुर्खियों में है। हो भी क्यों न बात ही कुछ ऐसी है। फिल्मों से लगने वाली कहानी में पुलिस ने अपनी भद्द पिटवा ली और मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। 

कानपुर पुलिस का सिंघम स्टाइल दांव एक बार फिर योगी सरकार के गले की फांस बन सकता है। अब की बार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संजीत यादव अपहरण मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार में नैतिकता का अपहरण हो गया है। 

कानुपर के बर्रा थाना क्षेत्र में पान की दुकान चलाने वाले चमन यादव के बेटे संजीत यादव 22 जून से लापता हैं। संचित लैब टैक्नीशियन हैं, 22 जून को वे घर नहीं लौटे और उनकी बाइक का भी कुछ पता नहीं है। 

पीड़ित परिवार ने मामले की जानकारी बर्रा थाने में दी लेकिन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस कुछ नहीं कर पाई। तीन दिन बाद चमन यादव के मोबाइल पर एक फोन आया और उन्होंने संजीत को छोड़ने के बदले 30 लाख फिरौती मांगी। चमन ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। 

पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने एक प्लान के तहत उनसे 30 लाख का इंतजाम करने को कहा। परिवार ने अपना मकान, जेवर आदि बेचकर 30 लाख जमा किए। इसके बाद चमन यादव सोमवार शाम करीब पांच बजे पुलिस के दिए हुए बैग में रुपये रखकर बाइक से किडनैपर की बताई जगह पर गए। 

चमन के भांजे हरीश कुमार के अनुसार वह और उनके मामा के दोस्त एक अन्य बाइक से चमन पर दूर से निगाह बनाए हुए थे। चमन की बाइक से करीब 20 कदम की दूरी पर सादा वर्दी में दो पुलिसकर्मी और बर्रा थाना प्रभारी रणजीत राय अपनी प्राइवेट कार से उनका पीछा करते हुए चल रहे थे।

किडनैपर ने पुलिस को छकाया 
हरीश के अनुसार अपहर्ताओं ने सबसे पहले चमन को उन्नाव अचलगंज चैराहे पर बुलवाया। यहां पहुंचने पर वापस रामादेवी चैराहे पर बुलाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद नौबस्ता चैराहे पर आने को कहा। यहां करीब एक घंटे इंतजार कराया। 

इसके बाद फोन कर उन्हें गुजैनी हाईवे पर आने को कहा। रात करीब आठ बजे हाईवे के ऊपर पहुंचने पर किडनैपर ने फोन कर उनसे नीचे से गुजर रही रेलवे पटरी पर बैग फेंकने को कहा। पुलिस के इशारा करते ही उन्होंने बैग नीचे फेंक दिया। 

पुलिस हाईवे के किनारे से नीचे उतरकर पहुंचती, अपहरणकर्ता रुपयों से भरा बैग लेकर फरार हो गए। लुकाछिपी के इस खेल में पीड़ित परिवार को कुछ भी हाथ नहीं लगा और उनके अनुसार उनके 30 लाख रूपये भी चले गए। आरोप है कि बर्रा थाना प्रभारी उनसे लगातार बैग फेंकने को कहते रहे और बाद में उन्हें घर भेज दिया।

फिल्मी स्क्रिप्ट से खतरे में युवक की जान 
मामले में संजीत की बहन रूचि ने मीडिया के सामने कहा कि रूपये देने से एक दिन पहले वह खुद एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता के कार्यालय गई थीं। वहां बैग में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगवाने की राय दी थी, लेकिन उन्हें डांटकर शांत करा दिया गया। 

हालांकि बुधवार को एक और वीडियो वायरल हुआ इसमें रूचि कह रही हैं कि उन्होंने 30 लाख रूपये ले जाने की बात लोगों के बहकावे में आकर कही थी। उन्हें एसएसपी से भरोसा मिल गया है, चार दिन में उनका भाई वापस आ जाएगा।

मामले में एसपी अपर्णा गुप्ता ने पूरी कहानी से इनकार किया है, उनका कहना है कि पुलिस युवक की बरामदगी के लिए प्रयास कर रही है लेकिन बैग में जीपीएस लगाने और 30 लाख रूपये जाने जैसी बात गलत है। हालांकि वे एक वीडियो में बड़ी आसानी से इस बात को स्वीकार कर रहीं हैं कि बैग फ्लाइओवर से नीचे फंेका और पुलिस जब तक नीचे गई वे भाग गए। 

पुलिस भले ही 30 लाख के दावे से इनकार करे लेकिन इस तरह किडनैपर के साथ खेल करने के बाद उन्होंने अपहृत युवक की जान को संकट में डालने का काम किया है। घटना के एक माह बाद भी  युवक की बरामदगी न होना भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। सवाल ये भी है कि पीड़ित की बहन ने अचानक किसी दवाब में तो बयान नहीं बदला है। मामले में एक आॅडियो क्लिप वायरल भी वायरल हो रहा है। आरोप है कि स्वाट टीम प्रभारी दिनेश यादव ने रूचि पर बयान बदलने का दवाब बनाया।

पुलिस पर किसका हाथ


मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सूबे की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कानपुर में अपहरण की घटना के बाद बेबस व मजबूर परिजनों द्वारा सूचित करने के बावजूद पुलिस के सामने से फिरौती की रकम ले जानेवालों के ऊपर आखिर किसका हाथ है। उन्हें पुलिस का भी डर नहीं है, लगता है उप्र की भाजपा सरकार की नैतिकता का ही अपहरण हो गया है।


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