जानिए उस घटना के बारे में जिससे एक योगी बन गए देश के सबसे बड़े सूबे का मुखिया

टीम भारत दीप |
अपडेट हुआ है:

2017 में योगी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
2017 में योगी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

योगी आदित्यनाथ उर्फ अजय सिंह बिष्ट का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव में हुआ। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो कि एक फॉरेस्ट रेंजर थे और इनकी माता का नाम सावित्री देवी है। अपने माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहन व एक बड़े भाई हैं और इसके बाद ये पांचवें थे।

लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज 49वां जन्मदिन। हालांकि योगी अपना जन्मदिन नहीं मनाते। वह अब पूरी तरह से अपने आप को जनता की सेवा के लिए समर्पित कर चुके है।

योगी आदित्यनाथ का जीवन किसी पहेली से कम नहीं है। अजय सिंह विष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने की कहानी किसी रहस्य से कम नहीं है। हालांकि पिछले चार साल के कार्याकाल में कई झंझावत आए, लेकिन अपने धैर्य और प्रशासनिक कुशलता से सभी से पार होते जा रहे है।

विपक्ष कोई मौका दिए बिना सरकार चलाना एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि 2022 में होने वाली परीक्षा को अगर वह पास कर लेते है तो यह बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

मध्यर्गीय परिवार में हुआ जन्म

योगी आदित्यनाथ उर्फ अजय सिंह बिष्ट का  जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव में हुआ। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो कि एक फॉरेस्ट रेंजर थे और इनकी माता का नाम सावित्री देवी है।

अपने माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहन व एक बड़े भाई हैं और इसके बाद ये पांचवें थे एवं इनसे छोटे दो भाई हैं। आपकों बता दें कि  सीएम योगी पूर्वाश्रम (संन्यास से पहले) का जन्मदिन नहीं मनाते। योगी होने के नाते भी वह इन सबसे दूर रहते हैं। हर साल की तरह इस बार भी सीएम योगी बगैर किसी आयोजन के रोजाना की तरह काम करेंगे। हालांकि उनके लाखों प्रशंसक उन्हें शुभकामनाएं जरूर देते हैं। 

1993 में गोरखुपर पहुंचे

अजय सिंह बिष्ट्र 1993 में गणित से एमएससी की पढ़ाई कर रहे थे। इसी दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर आए एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए जो इनके पड़ोस के गांव के रहने वाले पुराने परिचित थे।

अंततः ये महंत की शरण में ही चले गए और उन्हीं से दीक्षा ले ली। सन 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया।

हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना

योगी आदित्यनाथ हिंदू युवा वाहिनी संगठन के संस्थापक भी हैं, जो कि हिंदू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है।यहीं से धीरे-धीरे योगी का ध्यान राजनीति की तरफ आर्कषित हुआ। फिर सेवा भाव से राजनीति में आ गए।

26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने फिर 1998 से लेकर मार्च 2017 तक गोरखपुर से सांसद रहे और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता ही गया। वोट की संख्या के साथ ही उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। उनका प्रभाव गोरखपुर से निकलकर पूर्वांचल के सभी जिलो तक पहुंच गया। इसके बाद बीजेपी ​जीत के बाद 2017 में योगी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 

ऐसे बनी सशक्त  छवि

योगी आदित्यनाथ की इस इमेज के पीछे की कहनाी दो दशक पहले शुरू होती है। उस समय के घटनाक्रम के अनुसार  गोरखपुर शहर के मुख्य बाज़ार गोलघर में गोरखनाथ मंदिर से संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा खरीदने पहुंचे थे।

छात्रों का दुकानदार से विवाद हो गया, दुकानदार पर हमला हुआ, तो उसने रिवॉल्वर निकाल ली। इसके बाद  दुकानदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर एक युवा योगी की अगुवाई में छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया और वे एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गए।

यहीं से युवाओं को योगी के प्रति रूझान तेज होता गया। योगी के समर्थन में छात्र एक जुट होते गए। इस तरह योगी की छवि बनती गई आज वह हिंदुत्व के सबसे बड़े फायरब्रांड नेता के रूप में स्थापित हो चुका है। इसी छवि ने योगी को यूपी के सीएम की कुर्सी तक पहुंचाया।

 इसे भी पढ़ें...

 


संबंधित खबरें