लखनऊ: कोरोना की तीसरी लहर को मात देने का चिकित्सकों ने बताया मंत्र, दी ये हिदायत

टीम भारत दीप |

ठहाका लगाकर हंसने से इम्युनिटी पावर बढ़ती है।
ठहाका लगाकर हंसने से इम्युनिटी पावर बढ़ती है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पल्मोनरी विभाग डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए हमें, सोशल वैक्सीन, इम्युनिटीवैक्सीन एवं बायोलॉजिकल वैक्सीन लेना होगा।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश योगासन खेल संघ के तत्वावधान में आयोजित 'राष्ट्रीय वेबीनार' में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पल्मोनरी विभाग डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए हमें, सोशल वैक्सीन, इम्युनिटीवैक्सीन एवं बायोलॉजिकल वैक्सीन लेना होगा।

जो संभव है योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद युक्त जीवन शैली तथा एलोपैथी के सहयोग से। डा. सूर्य कान्त ने कहा कि हाथ मिलाने के बजाय  नमस्ते करना,  खाने में चीनी की जगह गुण, मैदे की जगह मोटा आटा, मोटा अनाज, सफेद नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि यदि भारतीयों ने थोड़ी सतर्कता अपनाई तो भारत में तीसरी लहर आ ही नहीं सकती।

बच्चे कोरोना से बचे रहेंगे। कारण है कि इनमें रिसेप्टर्स ही नहीं होते हैं। कार्यक्रम में केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद आयुष मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व निदेशक  डॉक्टर बी.टी. चिदानंद मूर्ति ने कहा कि ठहाका लगाकर हंसने से इम्युनिटी पावर बढ़ती है।  खाने में हरी सब्जियों, मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि आधा नींबू रस +3 चम्मच शहद +300 मिली. ताजे पानी में मिक्स कर दिन में 4 से 6 बार पीना चाहिए। उन्होंने बताया कि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक के निर्देशन में प्रशिक्षण उपरांत जलनेति क्रिया, कुंजल क्रिया,बस्ति क्रिया, चेहरे की लोकल स्टीम, फुल स्टीम बाथ, सूर्य किरण चिकित्सा, मॉर्निंग वॉक तथा योगाभ्यास से कोरोना जैसे महामारी से बचा जा सकता है।

अपने सम्बोधन में बलरामपुर चिकित्सालय लखनऊ के सीनियर कंसलटेंट डा. नरेंद्र देव ने बताया कि आने वाले समय में डेल्टा प्लस वायरस से लोगों को खतरा अधिक है, क्योंकि यह वायरस स्पाइस प्रोटीन का बना होता है। जोकि काफी खतरनाक एवं जानलेवा है। उन्होंने कहा कि इससे बचाव के लिए सरकार द्वारा निर्धारित कोरोना संबंधी प्रोटोकॉल का अनुपालन करना चाहिए।

साथ ही साथ नियमित व्यायाम योगासन, प्राणायाम, ध्यान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक से तुरंत परामर्श लेना चाहिए। कहा कि  लापरवाही जीवन के लिए खतरा बन सकती है।

वहीं बलरामपुर चिकित्सालय के योग विशेषज्ञ डॉ.नंदलाल जिज्ञासु ने बताया कि एलोपैथी के साथ-साथ सरकार को योग- प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद को भी बढ़ावा  देना जाना चाहिए तथा इस विधा के चिकित्सकों को अधिक से अधिक अनुसंधान  करनी चाहिए। वेबीनार में भारत के कई राज्यों से चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया।

इनमें डॉ. एस.एल.यादव, डॉ. दिनेश कुमार मौर्य, डॉ. राम किशोर, आचार्य विपिन पथिक, योगाचार्य सोनाली धनवानी, डॉ. एल.बी रॉय, डॉ.विनोद कुमार , डॉ. रघुवीर श्रीवास्तव, डॉ. आनंद कुमार गुप्ता, डॉ. विजय लक्ष्मी जायसवाल, डॉ. विनोद कश्यप  डॉ.नीरजा आदि प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया। 


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