लखनऊ: रिहर्सल करने के लिए दर—दर भटकने को मजबूर शहर के रंगकर्मी, उठाई ये मांग

टीम भारत दीप |
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रंगकर्म के स्थानों तथा पूर्वाभ्यास के लिए नाटक शालाओं, प्रेक्षागृहों को खोला जाए।
रंगकर्म के स्थानों तथा पूर्वाभ्यास के लिए नाटक शालाओं, प्रेक्षागृहों को खोला जाए।

शहर की विख्यात रंगकर्मी, अभिनेत्री, समाजसेविका डॉ. सीमा मोदी कहती हैं कि एक तरफ सरकार के द्वारा मॉल,बाजार और अन्य गतिविधियों से लॉकडाउन की पाबंदियां हटा दी गई हैं तो वहीं दूसरी तरफ शहर के प्रतिष्ठित प्रेक्षागृह संगीत नाटक अकादमी, राय उमानाथ बली ,भारतेंदु नाट्य अकादमी जैसे संस्थान अभी बंद पड़े हैं।

लखनऊ। कोरोना त्रासदी के बीच बेपटरी हुई व्यवस्थाओं ने सबकुछ बिगाड़ दिया था। बहरहाल कोरोना कहर की कम होती रफ्तार के बीच अब चीजे पटरी पर लौटती दिखने लगी है। लेकिन वो अभी नाकाफी है। लॉकडाउन के बाद अनलॉक के क्रम में सबकुछ धीरे—धीरे खुल चुका है। लेकिन अभी भी शहर के रंग कर्मी परेशान है।

वैसे तो उनकी परेशानियों की तमाम वजहें हैं। ​फिलवक्त रिहर्सल के लिए स्थान मुहैया न हो पाना उनकी परेशानियों का बड़ा सबब है।

इस बारे में शहर की विख्यात रंगकर्मी, अभिनेत्री, समाजसेविका डॉ. सीमा मोदी कहती हैं कि एक तरफ सरकार के द्वारा मॉल , बाजार और अन्य गतिविधियों से लॉकडाउन की पाबंदियां हटा दी गई हैं तो वहीं दूसरी तरफ शहर के प्रतिष्ठित प्रेक्षागृह संगीत नाटक अकादमी, राय उमानाथ बली ,भारतेंदु नाट्य अकादमी जैसे संस्थान अभी बंद पड़े हैं।

बताया कि यहां रंग कर्मियों को नाटकों का पूर्वाभ्यास व अपनी कला का प्रदर्शन करने का स्थान मुहैया कराया जाता है। लेकिन इनके बंद होने के चलते रंग कर्मियों को अपने नाटकों का पूर्वाभ्यास करने के लिए कभी सड़क के किनारे फुटपाथ पर, कभी पार्क में, कभी किसी खुले हुए स्थान पर धूप और गर्मी के बीच नाटकों का पूर्व अभ्यास करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।

 बता दें कि शहर की बहुचर्चित कई नाटक हस्तियां डॉ. सीमा मोदी, आकाश पांडे व कई और अन्य रंगकर्मी भी संगीत नाटक एकेडमी का गेट खुलने का इंतजार करते हुए देखे जा रहे हैं। डॉ. सीमा मोदी के मुताबिक वे अपने नाटक की रिहर्सल के लिए कई जगह भटक चुके हैं, लेकिन अपने पूर्वाभ्यास के लिए कोई स्थान नहीं मिल पा रहा है ।

उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि रंग कर्मियों के लिए रंगकर्म के स्थानों तथा पूर्वाभ्यास के लिए नाटक शालाओं, प्रेक्षागृहों को खोला जाए ताकि कलाकार अपने पूर्वाभ्यास के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर ना हों और रंग कर्म प्रेमियों का पुन: मनोरंज शुरू हो सके।


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