कोरोनाः न्यूजीलैंड को भारत से नहीं आगरा से आंकिए

टीम भारत दीप |
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कोरोना के लिए जागरूकता अभियान
कोरोना के लिए जागरूकता अभियान

एशिया प्रशांत के छोटे से द्वीपीय देश न्यूजीलैंड ने कोरोना को मात दे दी है। 8 जून 2020 को वहां पर अंतिम संक्रमित महिला की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई और बीते 15 दिन से न्यूजीलैंड में कोई नया केस नहीं आया है।

एशिया प्रशांत के छोटे से द्वीपीय देश न्यूजीलैंड ने कोरोना को मात दे दी है। 8 जून 2020 को वहां पर अंतिम संक्रमित महिला की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई और बीते 15 दिन से न्यूजीलैंड में कोई नया केस नहीं आया है। इस खबर के बाद से प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न  के नेतृत्व कौशल और उनके फैसलों की तारीफ हो रही है। दरअसल, न्यूजीलैंड एक हजार से अधिक मरीजों वाला ऐसा पहला देश है जहां कोरोना का फिलहाल कोई केस नहीं है। इससे पहले 9 मई को फराए आइसलैंड, 25 मई को यूरोप का मोंटनार्गाे और 5 जून को फिजी भी जीरो कोरोना केस वाले देशों की सूची में शामिल हो चुके हैं। 


न्यूजीलैंड के कोराना फ्री होने में सबसे अहम भूमिका सख्ती से लागू किए गए लाॅकडाउन, जनता द्वारा लाॅकडाउन का पालन और प्रवासियों के कम आवागमन ने निभाई है। हालांकि इससे वहां की सरकार और हैल्थ वर्कर्स के प्रयासों को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। एक मजबूत हैल्थ सिस्टम और सख्ती से अपनाए गए क्वारेंटाइन के नियम की भी इसमें बड़ी भूमिका है। न्यूजीलैंड का दूसरा सहायक पक्ष वहां कम जनसंख्या का होना भी है। पूरे न्यूजीलैंड देश की आबादी भारत में आगरा जैसे शहरों के बराबर है। 


ऐसे में न्यूजीलैंड के कोरोना मुक्त होने के बाद से लोगों का इसकी तुलना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भारत से करना जायज नहीं ठहरता। 50 लाख की आबादी वाले न्यूजीलैंड में जहां जनसंख्या घनत्व 18 है वहीं 130 करोड़ की आबादी वाले भारत में यह 406 है। वहीं न्यूजीलैंड की समान जनसंख्या वाले आगरा जिले की तुलना करें तो यहां का घनत्व 2816 है। न्यूजीलैंड में जहां कोराना के करीब 1500 केस सामने आए वहीं आगरा में केस का आंकड़ा 1053 है। यह बात जाहिर है कि बिगड़ी हुई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का खामियाजा देश ने जरूर भुगता है, फिर भी जो हालात अमेरिका और इटली जैसे विकसित देशों के हुए, उसे देखकर भारत की स्थिति को नियं़ित्रत कहा जा सकता है। 


भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रवासियों का आवागमन बनी है। चाहे वे विदेश से आने वाले हों या दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू जैसे महानगरों से घरों को लौटने वाले कामगार हों। फिर भी किसी भी स्थिति को लेकर कोरोना के मामले में भारत की न्यूजीलैंड से तुलना सार्थक नहीं है। न्यूजीलैंड ने अवश्य ही विश्व को आशा दिखाई है, इसके लिए देश बधाई का पात्र है। 


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