रेलवे के सफर में अब और ढीली होगी जेब, सुविधाएं भी मिलेंगी भरपूर, चल रही तैयारी

टीम भारत दीप |

रेलवे अब द्वितीय श्रेणी के कोच को एसी में कनवर्ट करने के बारे में सोच रहा है।
रेलवे अब द्वितीय श्रेणी के कोच को एसी में कनवर्ट करने के बारे में सोच रहा है।

भारतीय रेलवे अब आपकी यात्रा को और आरामदेह बनाने की तैयारी कर रहा है। बताया गया कि एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। जो आम आदमी के यात्रा करने के तरीके को पूरी तरह से बदल देगा। बताया गया कि रेलवे अब द्वितीय श्रेणी के कोच को एसी में कनवर्ट करने के बारे में सोच रहा है। जिससे लंबी दूरी की यात्रा आरामदेह हो जाएगी।

नई दिल्ली। आम आदमी के लिए रेलवे का सफर अब और आरामदायक व सुविधाजनक होने जा रहा है। बस शर्त इतनी होगी कि इसके लिए आपको अपनी जेब और ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। दरअसल भारतीय रेलवे अब आपकी यात्रा को और आरामदेह बनाने की तैयारी कर रहा है। बताया गया कि एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। जो आम आदमी के यात्रा करने के तरीके को पूरी तरह से बदल देगा।

बताया गया कि रेलवे अब द्वितीय श्रेणी के कोच को एसी में कनवर्ट करने के बारे में सोच रहा है। जिससे लंबी दूरी की यात्रा आरामदेह हो जाएगी। बताया गया कि इसके लिए लोगों को अपनी जेबें ढीली करनी पड़ सकती है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इकोनॉमी एसी 3-टियर कोच शुरू करने के बाद, भारतीय रेलवे अब अनारक्षित द्वितीय श्रेणी के कोचों को वातानुकूलित बनाने की दिशा में काम कर रहा है। द्वितीय श्रेणी के नए कोच का निर्माण कपूरथला में रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) में किया जाएगा।

वहीं आरसीएफ के जीएम रविंद्र गुप्ता के अनुसार इस परियोजना से आम आदमी के लिए भारत में रेल यात्रा का चेहरा बदल जाएगा। बताया गया कि वातानुकूलित सामान्य द्वितीय श्रेणी की यात्रा पहले जैसी सहज हो जाएगी। नए एसी सामान्य द्वितीय श्रेणी कोच के लिए लेआउट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बताया गया कि आरसीएफ को इस साल अंत तक एक प्रोटोटाइप को रोल आउट करने की उम्मीद है।

फिलवक्त सामान्य द्वितीय श्रेणी के कोच में अधिकतम 100 यात्री बैठ सकते हैं। इसे बनाने में लगभग 2.24 करोड़ रुपये का खर्च आता है। नए एसी सामान्य द्वितीय श्रेणी के कोच में बेहतर यात्री सुविधाओं की पेशकश के साथ अधिक यात्रियों के लिए बैठने की व्यवस्था करने की उम्मीद है। बताया गया कि इन कोचों का इस्तेमाल लंबी दूरी की मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए किया जाएगा।

जो 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर सकती हैं। वहीं भारतीय रेलवे ट्रेनों की गति 130 किमी प्रति घंटे करने की दिशा में काम कर रहा। बताया गया कि राजधानी और शताब्दी जैसी लंबी रूट की ट्रेनों में इसके लिए इंजन भी बदले गए हैं।

वहीं अब स्लीपर और जनरल कोच वातानुकूलित किए जा रहे हैं। हाल ही में RCF ने एक इकोनॉमी AC 3-टियर कोच के प्रोटोटाइप को रोलआउट किया है जो मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में स्लीपर क्लास के कोच की जगह लेगा। बताया गया कि इकोनॉमी एसी कोच का हाल ही में 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड पर ट्रायल किया गया।

वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रेलवे वित्त वर्ष 20-21-22 के अंत तक 24 ऐसी ट्रेन तैयार करेगी। जिसमें इकोनॉमी एसी थ्री टायर कोच होंगे। बताया गया कि रेलवे बोर्ड द्वारा लेआउट और अन्य डिजाइनों को मंजूरी दिए जाने के बाद द्वितीय श्रेणी के एसी डिब्बे बनाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

वहीं पिछली बार 2016 में अनारक्षित यात्रियों के लिए दीन दयाल कोचों की शुरुआत के साथ भारतीय रेलवे ने अपने सामान्य द्वितीय श्रेणी के डिब्बों को अपग्रेड किया था। बताया गया कि दीन दयालु कोचों ने कई यात्री सुविधाओं जैसे कि गद्दीदार सामान रैक, गद्देदार सीटें, कोट हुक, साफ पानी की सुविधा दी। वहीं इन कोचों में बॉयो टॉयलेट, अधिक मोबाइल चार्जिंग पॉइंट जैसी भी व्यवस्था दी गई।


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