बागियों के भरोसे भाजपा ने सपा के सबसे मजबूत किला मैनपुरी को ढहाया

टीम भारत दीप |

मैनपुरी में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर तो बीते 30 साल से सपा का ही कब्जा था।
मैनपुरी में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर तो बीते 30 साल से सपा का ही कब्जा था।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में जीत हासिल करना आसान नहीं था।मैनपुरी में पिछले 30 साल से जिला पंचायत की कुर्सी पर सपा कब्जा था, परंतु भाजपा ने सपा के इस किले को भी ध्वस्त कर दिया। चुनावी गणित में भाजपा ने 18 वोट हासिल किए, जबकि सपा केवल 11 मत ही प्राप्त कर सकी।

मैनपुरी। भाजपा ने जिला पंचायत चुनाव के अध्यक्ष पद पर हुए मतदान में पूरे प्रदेशभर में अच्छा प्रदर्शन किया। इसे भाजपा की रणनीतिक जीत कहें या सपा की रणनीति में खामियां कि सपा ने गांवों अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी जब अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में बुरी तरह से मात खा गई।

यहां तक कि सपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाने वाला मैनपुरी भी भाजपा ने अपनी रणनीति से जीत लिया ज​बकि यहां भाजपा से ज्यादा सपा के सदस्य जीतकर आए थे। इसके बाद भी सपा अपने सबसे मजबूत घर को नहीं बचाई पाई।  

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में जीत हासिल करना आसान नहीं था।मैनपुरी में पिछले 30 साल से जिला पंचायत की कुर्सी पर सपा कब्जा था, परंतु भाजपा ने सपा के  इस किले को भी ध्वस्त कर दिया।

चुनावी गणित में भाजपा ने 18 वोट हासिल किए, जबकि सपा केवल 11 मत ही प्राप्त कर सकी। इस तरह भाजपा की अर्चना भदौरिया को जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया।

बागियों ने बिगाड़ा खेल

मैनपुरी काे सपा का सबसे मजबूत किला माना जाता है। यहां बीते नौ लोकसभा चुनावों से सपा लगातार जीत हासिल कर रही है। विधानसभा सीटों पर भी सपा का पलड़ा भारी रहता है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर तो बीते 30 साल से सपा का ही कब्जा था। जिसे बागियों ने ध्वस्त कर दिया।

आपकों बता दें ​कि पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं। हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में संध्या यादव के पति अनुजेश प्रताप सिंह भाजपा में शामिल हो गए थे।

जिसके बाद इस चुनाव में संध्या यादव ने भाजपा समर्थित प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था, परंतु वह जीत हासिल नहीं कर पाईं। चुनाव में सपा समर्थित 13, भाजपा समर्थित आठ और कांग्रेस समर्थित एक सदस्य ने जीत हासिल की थी।

आठ पदों पर निर्दलीय जीते थे, इनमें भी पांच सपा के बागी बताए जा रहे थे। बागियों के भरोसे सपा यहां अपनी जीत पक्की मानकर चल रही थी। जैसा ​कि हमेशा से होता है बागी हमेशा सत्ता पक्ष के साथ जाते है वैसा ही इस बार हुआ बागियों ने भाजपा का दामन थामा और सपा की नैया डूबो दी। 

पारिवारिक तल्खी से डूबी नैया

आज भले ही सपा को एहसास न हो कि मैनपुरी का किला कैसे ध्वस्त हुआ है, लेकिन इसके पीछे लंबी कहानी निकलकर आई। सपा नेता धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव और उनके पति का भाजपाई होना, सपा के लिए सबसे बड़ा हार का कारण बना।

जब संध्या यादव जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गई तो भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए भूतपूर्व विधायक गंधर्व सिंह भदौरिया की पौत्र वधू और पूर्व विधायक अशोक चौहान की भतीजी अर्चना भदौरिया को मैदान में उतारा और बागियों को साध कर सपा को चारों खाने चित्त कर दिया। सपा के मनोज यादव को केवल 11 मत मिले जबकि अर्चना भदोरिया को 17 वोट मिले। 

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