सावन का तीसरा सोमवार और भी खास, श्रद्धालुओं को मिलेगा दो व्रतों का फल

टीम भारत दीप |
अपडेट हुआ है:

महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।

सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह वर्ष में एक या दो बार ही आती है। इस दिन व्रत पूजन का विशेष महत्व है।

धर्म डेस्क। भगवान शिव का पवित्र मास श्रावण चल रहा है। कोरोना महामारी के कारण इस बार मंदिरों में भीड़ कम है लेकिन श्रद्धालुओं की भक्ति में कोई कमी नहीं है। हर सोमवार को भक्त भगवान शिव का अभिषेक कर रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर मंदिरों में भी दर्शन का लाभ मिल रहा है। 

20 जुलाई को सावन का तीसरा सोमवार है और यह दिन अमावस्या के कारण और भी खास बन गया है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह वर्ष में एक या दो बार ही आती है। इस दिन व्रत पूजन का विशेष महत्व है। ऐसे में सावन का सोमवार और सोमवती अमावस्या दोनों ही व्रत का लाभ श्रद्धालुओं को एक दिन में मिलने वाला है। 


सोमवार के दिन जहां सभी श्रद्धालु चाहे महिला हों या पुरुष व बच्चे आदि भी श्रद्धानुसार व्रत इत्यादि रखकर भगवान शिव का अभिषेक, पूजन आदि करते हैं। सोमवती अमावस्या को खासकर महिलाओं का व्रत माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। 

महिलाएं निर्जला या जल पीकर व्रत रखती हैं। इसके साथ ही पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस पूजा में पीपल की 108 परिक्रमा कर धागे बांधकर पूजन किया जाता है। पीपल की पूजा के कारण सोमवती अमावस्या के व्रत को अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा जाता है। 

अश्वत्थ का अर्थ है पीपल। इस दिन नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। अन्य परम्पराओं में भँवरी देने (परिक्रमा करना ) का भी विधान है। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को भी चढ़ाया जाता है।

पौराणिक महत्व
भगवान शिव को देवों का देव यानी महादेव कहा जाता है और मान्यता है कि भगवान शिव को सावन मास सबसे अधिक प्रिय है। इसलिए श्रावण मास में सोमवार की पूजा का महत्व माना जाता है। 

सोमवती अमावस्या के व्रत को लेकर मान्यता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।


संबंधित खबरें