हाई स्पीड बुलेट ट्रेन का आज से शुरू होगा सर्वे, इन शहरों से गुजरेगी 'रफ्तार'

टीम भारतदीप |

बुलेट ट्रेन की रफ्तार 300 किमी प्रति घंटे होगी
बुलेट ट्रेन की रफ्तार 300 किमी प्रति घंटे होगी

भारत की राजधानी दिल्ली और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीच हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का भूमि सर्वेक्षण आज से शुरू होगा। ये भूमि सर्वेक्षण नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाएगा।

प्रयागराज। भारत की राजधानी दिल्ली और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीच हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का भूमि सर्वेक्षण आज से शुरू होगा। ये भूमि सर्वेक्षण नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाएगा।

इस सर्वेक्षण के लिए एरियल लिडार सर्वे का उपयोग किया जा रहा है। नई दिल्ली से चलकर वाराणसी तक जाने वाली हाई स्पीड बुलेट ट्रेन कई शहरों से होकर गुजरेगी।

इन शहरों में नोएडा मथुरा, आगरा, इटावा, लखनऊ, रायबरेली, अयोध्या, प्रयागराज, भदोही भी शामिल है। ये कॉरिडोर वाराणसी में खत्म होगा।

बता दें कि हाई स्पीड कॉरिडोर में मथुरा, अयोध्या, प्रयागराज और काशी के जुड़ जाने से कार्य की प्रगति और तेज हो गई है। यही कारण है कि रेल मंत्रालय ने नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को लिडार तकनीक से सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी।

जानकारी के मुताबिक, बुलेट ट्रेन वाराणसी से नई दिल्ली के बीच 865 किमी का सफर महज ढाई घंटे में तय करेगी। बता दें कि बुलेट ट्रेन की रफ्तार 300 किमी प्रति घंटे होगी। अब कॉरिडोर को लेकर भूमि अधिग्रहण की तैयारियां भी शुरू हो गईं हैं। कहा जा रहा है कि बुलेट ट्रेन चलने से न सिर्फ व्यापारिक बल्कि पर्यटन को भी फायदा मिलेगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और देश की राजधानी दिल्ली के बीच हाई स्पीड ट्रेन यानि बुलेट ट्रेन चलाए जाने का साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने तहेदिल से स्वागत किया है।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने हाई स्पीड ट्रेन कॉरिडोर से प्रमुख धार्मिक शहरों वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या और मथुरा को जोड़े जाने को लेकर खुशी जताई है। उन्होंने कहा है कि बुलेट ट्रेन चलाई जाने से साधु संतों के साथ ही साथ सभी सनातन धर्मियों में खुशी की लहर है।

उनका कहना है धार्मिक स्थलों को बुलेट ट्रेन से जोड़े जाने से देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक कम समय में सुगमता से इन धार्मिक स्थलों का दर्शन कर सकेंगे।


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