बदहाल हैं यूपी की सरकारी पाठशालाएं, सर्वे में 249 इमारतें मिली जर्जर

bharatdeep news |

कमेटी स्कूलों का मूल्यांकन करके रिपोर्ट तैयार कर रही है।
कमेटी स्कूलों का मूल्यांकन करके रिपोर्ट तैयार कर रही है।

यूपी की राजधानी के 249 प्राइमरी स्कूल जर्जर हालत में पहुंच गए हैं। इसमें से 50 से ज्यादा स्कूल तो लखनऊ शहर के हैं। रंग-रोगन और मरम्मत के बाद भी ये बिल्डिंग अब इस्तेमाल करने के लायक नहीं है। लॉकडाउन के दौरान विभाग द्वारा सर्वे कराया गया जिसमें सामने आया कि 249 स्कूल बिल्डिंग जर्जर हो चुकी हैं और यहां अब बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे।

लखनऊ। यूपी में बच्चों की शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए दावे तो बहुत हुए पर सच मानिए तो जमीन पर हालात कुछ खास जुदा नहीं दिख रहे हैं। यहां तो प्राइमरी स्कूलों की इमारतें भी बद से बद्तर हालात में नजर आ रही है। बावजूद इसके दावों का दंभ अभी भी प्रबल है। दरअसल यूपी की राजधानी के 249 प्राइमरी स्कूल जर्जर हालत में पहुंच गए हैं।

इसमें से 50 से ज्यादा स्कूल तो लखनऊ शहर के हैं। रंग-रोगन और मरम्मत के बाद भी ये बिल्डिंग अब इस्तेमाल करने के लायक नहीं है। लॉकडाउन के दौरान विभाग द्वारा सर्वे कराया गया जिसमें सामने आया कि 249 स्कूल बिल्डिंग जर्जर हो चुकी हैं और यहां अब बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे। सर्वे जो बात सामने निकल कर आई है उसके मुताबिक किसी स्कूल में 2 कमरे तो किसी में 3 कमरे जर्जर हालात में हैं।

वहीं कुछ तो ऐसी बिल्डिंग हैं जो पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। इन्हें अब गिराकर नए निर्माण में ही स्कूल चालू किया सकेगा। खंड शिक्षा अधिकारियों की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है जिसमें इन स्कूलों को गिराने के निर्णय लिए जाएंगे। कमेटी स्कूलों का मूल्यांकन करके रिपोर्ट तैयार कर रही है। फिलहाल 84 स्कूलों का मूल्यांकन किया जा चुका हैंं। 

कई स्कूल की इमारतों की हालत खतरनाक
समिति ने स्कूलों का निरीक्षण कर जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके मुताबिक कई स्कूलों को काफी खतरनाक बताया गया और इन्हें जल्द ढहाने की बात कही जा रही है। जर्जर हो चुके स्कूलों को नीलाम किया जाएगा और जो संस्था इन्हें खरीदेगी वही बिल्डिंग को गिराएगी। समिति की ही निगरानी में नीलामी कराने की बात भी कही जा रही है।

इधर जिन स्कूल बिल्डिंग को गिराने की बात कही गई है उनके दोबारा बनाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं किया गया है। लखनऊ में 53 नए कक्षा बनाने के लिए मंजूरी मिली है लेकिन वह उन स्कूलों में बनेंगे जहां पहले से ही कक्ष कम है।


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