योगी सरकार-2.0: आगरा के योगेंद्र उपाध्याय ने तय किया पार्षद से कैबिनेट मंत्री तक का सफर

टीम भारत दीप |

योगेंद्र उपाध्याय 2017 में मुख्य सचेतक और अब कैबिनेट मंत्री बनाए गए।
योगेंद्र उपाध्याय 2017 में मुख्य सचेतक और अब कैबिनेट मंत्री बनाए गए।

यदि योगेंद्र उपाध्याय के अब तक सफर पर नजर डाले तो पता चलता है कि योगेंद्र उपाध्याय ने 1974 में छात्र जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने। कॉलेज में भी छात्र राजनीति की। 1987 में भारतीय जनता युवा मोर्चा में महानगर उपाध्यक्ष रहे। भाजपा महानगर में महामंत्री व उपाध्यक्ष भी रहे।

आगरा। ताजनगरी आगरा से दक्षिण विधानसभा से तीसरी बार विधायक बने योगेंद्र उपाध्याय छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे। इसके बाद भाजयुमो में कई पदों पर रहे। 1989 में पार्षद बनकर सक्रिय राजनीति में आए। 2012 में आगरा दक्षिण सीट से चुनाव जीता। 2017 में चुनाव जीतकर विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक बने।

1974 से छात्र राजनीति

यदि योगेंद्र उपाध्याय के अब तक सफर पर नजर डाले तो पता चलता है कि योगेंद्र उपाध्याय ने 1974 में छात्र जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य बने। कॉलेज में भी छात्र राजनीति की।

1987 में भारतीय जनता युवा मोर्चा में महानगर उपाध्यक्ष रहे। भाजपा महानगर में महामंत्री व उपाध्यक्ष भी रहे। 1989 में पार्षद का चुनाव जीते और भाजपा के पार्षद दल के मुख्य सचेतक रहे। 2012 में आगरा दक्षिण से विधानसभा का चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 

तीसरी बार बने विधायक

योगेंद्र उपाध्याय  इस बार तीसरी पारी है। उन्होंने शहर में गंगाजल प्रोजेक्ट लाने के लिए प्रयास किए। उनके प्रयास रंग लाए और शहर को गंगाजल मिल सका। हालांकि उनके क्षेत्र में अब भी कई इलाकों में गंगाजल नहीं पहुंच सका है। अब कैबिनेट में पहुंचने से एसएन मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल समेत कई कार्यों में तेजी आने की उम्मीद जागी है। 

बेबीरानी को मिला बड़ा मौका

आगरा ग्रामीण विधानसभा से विधायक चुनी गईं बेबीरानी मौर्य ने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1990 में पार्टी में बतौर कार्यकर्ता की। 1995 में आगरा की पहली महिला महापौर बनीं। वर्ष 2002 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रहीं। 2007 में एत्मादपुर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा मगर जीत नहीं पाईं। 

बाद भाजपा के प्रदेश संगठन में कई पदों पर रहीं। 26 अगस्त 2018 को उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बनाकर भेजा गया। 2020 में उन्होंने इस्तीफा दिया। इसके बाद उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व दिया गया। विधानसभा चुनाव में उन्हें आगरा ग्रामीण सीट से टिकट दिया गया। अब कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। 

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