युवाओं पर भी तेज़ी से हो रहा कोरोना 'अटैक', जानें क्यों हो रहा ऐसा

टीम भारत दीप |
अपडेट हुआ है:

एसआरएन के कोविड वार्ड में पांच मरीजों की मौत हुई है, जो अभी नई उम्र के थे
एसआरएन के कोविड वार्ड में पांच मरीजों की मौत हुई है, जो अभी नई उम्र के थे

अभी तक यह कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस सबसे ज़्यादा बुजुर्ग और बच्चों के लिए घातक साबित हो रहा है, लेकिन ये युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है।

प्रयागराज। कोविड—19 का मामला दिन ब दिन यूपी में बढ़ता ही जा रहा है। अभी तक यह कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस सबसे ज़्यादा बुजुर्ग और बच्चों के लिए घातक साबित हो रहा है, लेकिन ये युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। खौसतौर पर जो किसी दूसरी बीमारी से जूझ रहे हैं। पिछले दिनों आए कई मामले इस ओर इशारा भी कर रहे हैं। पिछले सप्ताह में एसआरएन के कोविड वार्ड में पांच मरीजों की मौत हुई है, जो अभी नई उम्र के थे। 

कोरोना के नोडल इंचार्ज डॉ. सुजीत कुमार ने बताया कि संक्रमण से युवाओं के मरने के पीछे वह कई वजह हैं। बताया कि जौनपुर का 22 साल का मरने वाला युवक मोटापे की चपेट में था। इस वजह से उसका ब्लड प्रेशर बढ़ा और उसकी हालत गंभीर हुई।इसी तरह मुट्ठीगंज का मरने वाला 36 साल के युवक को ब्राेंकाइटिस था। सर्दी, खांसी के मरीज होने के कारण कोरोना वायरस से फेफड़े में समस्या शुरू हो गई। मरीज को निमोनिया हो गया और उसकी जान बचाना मुश्किल हो गया। 

एसआरएन में इसके पहले भी फतेहपुर और झलवा के 42-42 साल के दो युवकों की मौत हुई थी। हालांकि, फतेहपुर के युवक को कोई और बीमारी की बात सामने नहीं आई जबकि झलवा के युवक को पेट में तकलीफ थी। उसका उपचार चल रहा था। इसी बीच वह कोरोना की चपेट में आया। एसआरएन में उपचार के दौरान उसकी मौत हुई।

इसके पहले भी कोरोना के संक्रमण की शुरुआत में बारा के पंडुआ गांव के एक युवक तथा हंडिया के राका गांव के युवक की मौत हो गई थी। डॉ. सुजीत का कहना है कि मरीजों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह आ रही कि वह देर से अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऐसे में उनका इलाज कर पाना मुश्किल हो जाता है। 


संबंधित खबरें