अटल-आडवाणी के साथ सिकंदर बख्त ने जिस बेल को सींचा उसे मोदी-शाह ने बनाया दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी

टीम भारत दीप |
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इमरजेंसी के दौर में सिकंदर बख्त की अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छी दोस्ती हो गई थी।
इमरजेंसी के दौर में सिकंदर बख्त की अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छी दोस्ती हो गई थी।

विपक्षी आज भले ही भारतीय जनता पार्टी को मुस्लिम विरोधी के रूप में प्रचारित करते हों, लेकिन भाजपा की स्थापना से ही सिकंदर बख्त जैसे मुस्लिम नेताओं ने पार्टी की नींव मजबूत करने का काम किया है। यह साबित करने के लिए काफी है कि भाजपा ने मुस्लिमों की कभी अनदेखी नहीं की है।

नई दिल्ली। भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। इस समय देश में भाजपा का मुकाबला करना किसी एक पार्टी के बस की बात नहीं है। यह विगत 10 साल में विभिन्न राज्यों में चुनाव के परिणाम के बाद देखने को मिला है।

हर बार भाजपा को मात देने के लिए पूरा विपक्ष एक होकर प्रयास करता है, लेकिन उनकी एकता चुनाव के परिणाम के बाद बिखर जाती है। आज नतीजा यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी अपना जनाधार चुनाव दर चुनाव खोती जा रही है।

आज वट वृक्ष बन चुकी भारतीय जनता पार्टी की स्थापना साल 1980 में हुई है, लेकिन इसके मूल में डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा 1951 में स्थापित भारतीय जनसंघ ही है। बीजेपी के संस्थापक अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी रहे, जबकि मुस्लिम चेहरे के रूप में सिकंदर बख्त महासचिव बने।

मात्र दो सीट से शुरू हुआ संसद का सफर

स्थापना के बाद 1984 में हुए चुनाव में भाजपा मात्र दो सीटें जीतने में कामयाब हुई। इसके बाद विपक्ष ने भाजपा का जमकर मखौल बनाया, लेकिन बीजेपी इसे अपनी ताकत बनाते हुए आज इतनी मजबूत हो गई है।

राज्यों में छोटे दलों के साथ ही केंद्र में सबसे पुराने दल कांग्रेस को जमीन दिखा दी। वैसे तो बीजपी ने पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की मेहनत से गठबंधन सत्ता का सुख चखा था लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ते हुए इतिहास रच दिया।

इस जीत के बाद भाजपा कांग्रेस के बाद देश की एकमात्र ऐसी पार्टी बनी जिसने चुनाव भले ही गठबंधन साथियों के साथ लड़ा, लेकिन 282 सीटें जीत कर अपने बूते बहुमत हासिल किया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सत्ता में आकर कई और रिकार्ड बनाए। 

हिंदुत्व को बनाया मुद्दा

भाजपा ने अपने राजनीतिक एजेंडे में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाया। इसी ने आज बीजेपी को विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के साथ ही सबसे मजबूत सरकार के रूप में स्थापित कर दिया है। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने जैसे गंभीर मुद्दों पर जहां पिछली सरकारें कदम उठाने से बचती रहीं वहीं भाजपा ने आगे बढ़कर इसे डंके की चोट पर पूरा किया।   

अयोध्या में राम मंदिर और हिन्दुत्व भाजपा के ऐसे मुद्दे रहे जिनके चलते वह 2 सीटों से 282 सीटों तक पहुंच गई। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य भाजपा के कार्यकाल में शुरू होना उसे अपने वोट बैंक के बीच और मजबूत कर रहा है।

आज की भाजपा को मजबूत करने में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है। आडवाणी की रथयात्रा ने भाजपा के जनाधार को और व्यापक बनाया। इन दो पार्टी नेताओं के लक्ष्य को उनके अनुगामी नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अरूण जेटली जैसे नेताओं ने अपने-अपने हिस्से की भूमिका निभाकर आगे बढ़ाया। 

पहली बार केंद्र में बीजेपी

साल 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी से पहले प्रधानमंत्री बने लेकिन बहुमत न होने के कारण उनकी सरकार 13 दिन में ही गिर गई। 1998 में हुए चुनाव में एक बार फिर वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन सरकार फिर गिर गई।

1999 में वाजपेयी फिर प्रधानमंत्री बने और उन्होंने गठबंधन सरकार चलाई। हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव में वे सत्ता में वापसी नहीं कर सके। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। 

2018 में भाजपा के हाथ से मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे प्रमुख हिन्दी भाषी राज्य निकल गए। फिर 2019 में बीजेपी ने अपने को और मजबूती से स्थापित किया। 

भाजपा के मुस्लिम चेहरे

विपक्षी आज भले ही भारतीय जनता पार्टी को मुस्लिम विरोधी के रूप में प्रचारित करते हों, लेकिन भाजपा की स्थापना से ही सिकंदर बख्त जैसे मुस्लिम नेताओं ने पार्टी की नींव मजबूत करने का काम किया है। यह साबित करने के लिए काफी है कि भाजपा ने मुस्लिमों की कभी अनदेखी नहीं की है। सैयद शाहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी, नजमा हेपतुल्लाह, एमजे अकबर जैसे नेता बीजेपी के मुस्लिम चेहरे के रूप में काम कर रहे हैं।

अटल का सिकंदर बख्त से गहरा रिश्ता 

1918 में तंबाकू कारोबारी पिता के यहां पैदा हुए सिकंदर बख्त ने दिल्ली के एंग्लो-अरेबिक कॉलेज (अब जाकिर हुसैन कॉलेज) से पढ़ाई की। सिकंदर स्कूली दिनों में हॉकी खेलते थे। 1945 तक वो भारत सरकार के सप्लाई डिपार्टमेंट में क्लर्क थे।

इमरजेंसी के दौर में सिकंदर बख्त की अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छी दोस्ती हो गई थी। 1980 में जब जनता पार्टी से टूटकर बीजेपी बनी तो सिकंदर बख्त भी उसमें शामिल हो गए और सीधे पार्टी महासचिव बना दिए गए। 1984 में उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया गया।

बीजेपी के शुरुआती दौर में वो इकलौते बड़े मुस्लिम नेता थे। साल 1990 में वो मध्य प्रदेश से राज्यसभा में चुने गए, सन् 92 में वो राज्यसभा में नेता विपक्ष चुने गए। 1996 में वो फिर राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचे।


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