‘अनोखे‘ सत्याग्रही के आगे झुका सेंट्रल बैंक प्रशासन, अंतिम निर्णय तक जारी रहेगा धरना

टीम भारत दीप |

वे अपनी ब्रांच के बाहर ही धरने पर हैं।
वे अपनी ब्रांच के बाहर ही धरने पर हैं।

करनाल रीजन में सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया की एलनाबाद शाखा में बतौर क्लर्क के पद पर कार्यरत हंसदीप का नाम तब चर्चा में आया जब वे बीती 1 फरवरी को अपने बैंक की ट्रांसफर लिस्ट में गड़बड़ी की बात कहते हुए धरने पर बैठ गए।

बैंकिंग डेस्क। ‘कौन कहता है सूराख आसमां में हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।‘ दुष्यंत कुमार का यह शेर आज सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया के कर्मी हंसदीप कासवान के अनोखे सत्याग्रह से फिर जीवंत हो उठा है। बार-बार उनके धरना प्रदर्शन को अनोखा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हंसदीप दिन में बैंक में काम भी करते हैं और उसके बाद वे अपनी ब्रांच के बाहर ही धरने पर हैं। 

करनाल रीजन में सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया की एलनाबाद शाखा में बतौर क्लर्क के पद पर कार्यरत हंसदीप का नाम तब चर्चा में आया जब वे बीती 1 फरवरी को अपने बैंक की ट्रांसफर लिस्ट में गड़बड़ी की बात कहते हुए धरने पर बैठ गए। कड़कती ठंड में रात 12 से शुरू धरने को उन्होंने अनिश्चितकालीन धरना नाम दिया। 

उनका आरोप था कि बैंक प्रबंधन ने जो ट्रांफर लिस्ट जारी की है, उसमें कई अनियमितताएं हैं। जहां ज्यादा स्टाफ है वहां और स्टाफ दे दिया गया है और जहां स्टाफ की कमी है वहां कमी बरकरार रखी गई है। 

धरने पर बैठे हंसदीप का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उन्हें लगातार अन्य बैंककर्मियों का अप्रत्यक्ष समर्थन मिलता गया। ‘बाॅस इज आल्वेज राइट‘ के दौर में जब बड़े-बड़े पदाधिकारी ऐसे फैसले लेने की हिम्मत नहीं दिखा पाते जब क्लर्क जैसे छोटे (वेतन और सिस्टम के अनुसार) पद पर कार्यरत हंसदीप ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी नौकरी तक दांव पर रख दी। 

लेकिन, अंधेरा छंटा और सूरज निकला। हंसदीप की मांग पर बैंक प्रबंधन ने कार्रवाई का भरोसा दिया है। हालांकि हंसदीप का कहना है कि जब तक उन्हें बैंक के आलाधिकारियों से अंतिम निर्णय प्राप्त नहीं हो जाता तब तक वे नियमित समय तक बैंक में अपना कार्य करेंगे और इसके बाद ब्रांच के बाहर अपना धरना जारी रखेंगे। 


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