दुष्कर्म पीड़िता की मौत: परिजनों का आरोप पुलिस करती रही फरार होने का दावा और आरोपित करता रहा नौकरी

टीम भारत दीप |

आरोपित घर वालों पर समझौते के लिए दबाव बना रहा था।
आरोपित घर वालों पर समझौते के लिए दबाव बना रहा था।

अज्ञात की तलाश किए बिना ही एससी-एसटी की धारा हटाई और अपने हस्तक्षेप से जांच तत्कालीन थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार के हवाले कर दी। इसके बाद पूर्व थाना प्रभारी ने सार्वजनिक रुप से यही कहते रहे कि नामजद आरोपितों को फंसाया जा रहा है, इसलिए जांच होने तक गिरफ्तारी नहीं होगी। इससे पीड़ित परिवार का हौसला टूटता रहा।

कानपुर। गत माह हुई सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता और उसके नवजात बच्चे की प्रसव के दौरान मौत के मामले में ककवन पुलिस फंसती नजर आ रही है। भले ही पुलिस ने किशोरी की मौत के बाद आरोपित लेखपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया होA

 पिछले दो महीने से चल रहे घटनाक्रम और पीड़ित परिवार के आरोपों से साफ है कि सीओ बिल्हौर राजेश कुमार और ककवन के पूर्व थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार कश्यप आरोपितों से मिले हुए थे। परिजनों का आरोप हैं कि इस काम के लिए कानपुर आउटर पुलिस ने छह लाख में मोटी डील की थी।

रौब झारते हुए नौकरी कर रहा था

यही वजह रही कि पुलिस रिकॉर्ड में जो आरोपित लेखपाल फरार चल रहा था, वह रौब झारते हुए नौकरी कर रहा था। यानी साफ है कि पुलिस का इरादा आरोपित को गिरफ्तार करना था ही नहीं।

ककवन कांड के पिछले घटनाक्रम पर असर नजर डाले तो 15 वर्षीय पीड़िता द्वारा अपने परिवार को जब यह बताया गया कि वह गर्भवती है और इसके जिम्मेदार लेखपाल रंजीत बरवार और करन उर्फ बुढऊ व दो अन्य  हैं तो परिवार की ओर से 11 अक्टूबर 2021 को मुकदमा दर्ज करा दिया गया।

इसके बाद पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए कोई कोशिश नहीं की, बल्कि यही दावा किया जाता रहा कि पीड़ित् परिवार आरोपितों को फंसा रहा है। आरोपित निर्दोंष हैं।

वहीं आरोपितों को बचाने के लिए सीओ राजेश कु़मार ने पहले इस तर्क के साथ मुकदमे से एससी-एसटी की धारा हटा दी कि पीड़ित व दोनों आरोपित एक ही वर्ग हैं। सीओ ने यह जानने की कोशिश भी नहीं कि जो दो अज्ञात हैं, वह कौन हैं।

अज्ञात की तलाश किए बिना ही एससी-एसटी की धारा हटाई और अपने हस्तक्षेप से जांच तत्कालीन थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार के हवाले कर दी। इसके बाद पूर्व थाना प्रभारी ने सार्वजनिक रुप से यही कहते रहे कि नामजद आरोपितों को फंसाया जा रहा है, इसलिए जांच होने तक गिरफ्तारी नहीं होगी।

इससे पीड़ित परिवार का हौसला टूटता रहा। वहीं अपने बचाव में कागजों में दोनों नामजद आरोपित की फरारी के पर्चे काटते रहे। उन्हें तलाशने की कोशिश नहीं की गई,  ककवन पुलिस की कलई तहसील प्रशासन का वह रिकॉर्ड खोलता है, जिसमें लेखपाल को रोज नौकरी पर आते जाते दिखाया गया। यही नहीं इस घटना के बाद उसके संबंधित गांव आने की बात भी कही जा रहा है।

ताऊ बोला, छह लाख में हुआ सौदा

मृतक किशोरी के ताऊ ने ककवन पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि 25 दिन पहले आरोपित लेखपाल उसे उत्तरीपुरा में मिला था। उसने दावा किया था कि सीओ को छह लाख रुपये दिए हैं, उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। वह उन लोगों पर भी समझौता कर लेने का दबाव डाल रहा था।

लेखपाल संघ का अध्यक्ष है आरोपित

मालूम हो कि आरोपित लेखपाल रंजीत बरवार उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ का तहसील इकाई का अध्यक्ष है। अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद उसने लेखपालों को भी भड़का दिया था कि उसे गलत फंसाया जा रहा है। इस पर लेखपालों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था। पूरे आठ दिन चली हड़ताल के बाद अधिकारियों ने किसी तरह से हड़ताल वापस कराई थी। 

वही इस मामले में कानपुर आईजी प्रशांत कुमार का कहना है कि इस मामले में इतने दिनों तक गिरफ्तार न होने से पुलिस की लापरवाही साफ झलक रही है। जांच के आदेश दिए गए हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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