किसान आंदोलन के नाम पर कांग्रेसियों ने भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के कटआउट पर पोती कालिख

टीम भारत दीप |
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26 जनवरी को ट्रैक्‍टर रैली के दौरान उपद्रवियों ने जो किया उसे पूरे देश ने देखा।
26 जनवरी को ट्रैक्‍टर रैली के दौरान उपद्रवियों ने जो किया उसे पूरे देश ने देखा।

सचिन ने ट्वीट में कहा था, भारत की संप्रभुता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। विदेशी ताकतें दर्शक तो बन सकती हैं इसमें भाग नहीं ले सकतीं। भारतीय, भारत को जानते हैं और उन्हें ही भारत के लिए फैसला लेना चाहिए। एक देश के तौर पर एकजुट रहें।

कोच्चि। अपने खेल से इतर मैदान और मैदान के बाहर अपने सौम्य व्यवहार से सबको कायल करने वाले सचिन तेंदुलकर के कटआउट के साथ युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अच्छा व्यवहार नहीं किया है। सचिन को क्रिकेट का भगवान भी कहा जाता है।अपने देश के लिए खेल के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए सचिन को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।

मालूम हो कि कोच्चि में भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के कटआउट पर कालिख पोत दी। कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आए दूसरे देशों के कुछ नामचीन लोगों के खिलाफ ट्वीट करने पर युवा कांग्रेस सदस्यों ने सचिन के खिलाफ प्रदर्शन किया।

सचिन ने ट्वीट में कहा था, भारत की संप्रभुता के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। विदेशी ताकतें दर्शक तो बन सकती हैं इसमें भाग नहीं ले सकतीं। भारतीय, भारत को जानते हैं और उन्हें ही भारत के लिए फैसला लेना चाहिए। एक देश के तौर पर एकजुट रहें।

वहीं, सचिन के ट्वीट से नाराज केरल में मलयाली भाषी लोग टेनिस खिलाड़ी मारिया सारापोवा की आलोचना पर खेद जता रहे हैं। दरअसल, एक साक्षात्कार में सारापोवा ने कह दिया था कि वह सचिन को नहीं जानती। इसको लेकर केरल के लोगों ने उनकी खूब आलोचना की थी। अब सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे संदेश में लोग कह रहे हैं, सारापोवा आप सही थीं कि सचिन को नहीं जानती थीं। सचिन जानने लायक व्यक्ति नहीं हैं।
 
मालूम हो कि इस समय किसान आंदोलन को लेकर पूरे देश में घमासान जारी है। 26 जनवरी को ट्रैक्‍टर रैली के दौरान उपद्रवियों ने जो किया उसे पूरे देश ने देखा। इसके बाद काफी लोग किसान आंदोलन की आड़ में हुए उपद्रव के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

हालांकि, अब इस आंदोलन में राजनीतिक पार्टियां भी खुलकर सामने आ गई हैं। ऐसे में अब ये आंदोलन पूरी तरह से राजनीतिक हो गया है। सचिन तेंदुलकर के कटआउट पर कालिख पोतना गलत है।


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