विधान परिषद चुनाव: 27 सीटों के लिए थमा प्रचार, मतदान कल, 12 को आएंगे परिणाम

टीम भारत दीप |

भाजपा के प्रभाव में आकर सपा के कई प्रत्याशियों ने पाला बदल लिया।
भाजपा के प्रभाव में आकर सपा के कई प्रत्याशियों ने पाला बदल लिया।

मतदान भले ही 27 अप्रैल को हो लेकिन कहा जाता है कि विधान परिषद चुनाव में उसी पार्टी का पलड़ा भारी होता है जिसकी सत्ता होती है। वर्तमान में भाजपा सत्ता पर काबिज है, ऐसे में बीजेपी का ही पलड़ा भारी दिख रहा है।

लखनऊ। यूपी एमएलसी चुनाव के लिए जारी प्रचार का सिललिसा गुरुवार को थम गया। अब चुनाव कराने के लिए पोलिंग पार्टियां आज रवाना होंगी। विधानसभा की 27 सीटों के लिए नौ अप्रैल को मतदान होगा।

आपकों बता दें कि इस मतदान में सीधे जनता भाग नहीं लेती बल्कि जनप्रतिनिधि इसमें वोट देकर विधान परिषद सदस्य को चुनते हैं। विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव होना है, इनमें से नौ सीटों पर पहले से ही निर्विरोध सदस्य चुने जा चुके हैं जबकि 27 सीटों पर मतदान होगा, वही चुनाव के परिणाम 12 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे।

मतदान भले ही 27 अप्रैल को हो लेकिन कहा जाता है कि विधान परिषद चुनाव में उसी पार्टी का पलड़ा भारी होता है जिसकी सत्ता होती है। वर्तमान में भाजपा सत्ता पर काबिज है, ऐसे में बीजेपी का ही पलड़ा भारी दिख रहा है,

शायद यही वजह है कि बिना मतदान हुए ही बीजेपी के नौ विधान परिषद सदस्य निर्विरोध चुन लिए गए। विधानसभा की तरह ही विधान परिषद चुनाव में भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच ही दिखाई दे रहा है। हालांकि बीजेपी भारी पड़ती दिखाई दे रही है। भाजपा के प्रभाव में आकर सपा के कई प्रत्याशियों ने पाला बदल लिया तो कई चुनावी मैदान से ही हट गए।

योगी के लिए चुनौती

विधानसभा चुनाव के बाद अब योगी के लिए विधान परिषद के चुनाव को जीतना भी एक चुनौती है। हालांकि इस चुनाव में पहले जैसी कोई बड़ी चुनौती नहीं है। मालूम हो कि विधानसभा का चुनाव योगी के चेहरे पर लड़ा गया था, बीजेपी जीतकर सत्ता पर काबिज हो गई है।

 ऐसे में अगर बीजेपी इस बार भी जीतती है तो इसका सेहरा योगी के सर पर बंधेगा वहीं हा का जिम्मेदार भी उन्हीं को बताया जाएगा। हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है कि बीजेपी इन चुनावों मात खाएगी, फिर भी जब तक चुनावी परिणाम सामने नहीं आ जाते तब कयासों का बाजार ही गर्म रहेगा।

वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ​विधानसभा चुनाव के बाद विधान परिषद के चुनाव में नई रणनीति के तहत उतरे है। अब देखना होगा कि इस बार कितनी चुनौती पेश कर पाएंगे।

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