हत्या के मामले बचे लेकिन महिला के अपहरण और जानलेवा हमले में मिला आजीवन कारावास

टीम भारतदीप |

न्यायाधीश  ने आयुध अधिनियम की धारा में 3-3 वर्ष का कारावास, 3-3 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
न्यायाधीश ने आयुध अधिनियम की धारा में 3-3 वर्ष का कारावास, 3-3 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।

अपर जिला एवं सत्र न्यायालय प्रथम ने 13 साल पुराने युवक की हत्या और महिला का अपहरण कर गोली मारकर घायल करने के बहुचर्चित मामले में सजा सुनाई है। इसमें छह लोगों को हत्या के मामले में साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। वहीं जानलेवा हमला और अपहरण के मामले में एक ही परिवार के पांच सदस्यों सहित छः लोगों को आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है।

ललितपुर। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय प्रथम ने 13 साल पुराने युवक की हत्या और महिला का अपहरण कर गोली मारकर घायल करने के बहुचर्चित मामले में सजा सुनाई है। इसमें छह लोगों को हत्या के मामले में साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। 

वहीं जानलेवा हमला और अपहरण के मामले में एक ही परिवार के पांच सदस्यों सहित छः लोगों को आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है। एक आरोपी फरार है। दो नाबालिगों का मामला जुवेनाइल कोर्ट में भेज दिया था। 

अपर जिला शासकीय अधिवक्ता खुशीलाल लोधी ने बताया कि कोतवाली तालबेहट अंतर्गत ग्राम कड़ेसराखुर्द निवासी महाराज सिंह पुत्र आशाराम यादव ने कोतवाली तालबेहट में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि, जुलाई माह 2006 में उसने कड़ेसराखुर्द की निवासी लक्ष्मन सिंह बुन्देला की पत्नी रूबी से कोर्ट मैरिज कर ली थी। 

वह पति-पत्नी की तरह गांव में ही रहते थे जिससे उसके परिवार से लक्ष्मन सिंह व उनका परिवार रंजिश मानने लगे थे। 23 जनवरी 2007 को उसका बड़ा भाई नंदराम गांव के निवासी जगदीश पुत्र छोटेलाल यादव के साथ बाइक से तालबेहट से शाम 5 बजे वापस अपने घर आ रहा था। 

जैसे ही वह टेडारेमजा पुलिया के पास पहुंचे तभी पहले से घात लगाए ग्राम कडेसराखुर्द निवासी लक्ष्मन सिंह पुत्र रघुवीर सिंह बुन्देला, कमल सिंह पुत्र विजय सिंह बुन्देला, जण्डेल सिंह पुत्र कुंजन सिंह, दुर्जन सिंह, दीवान सिंह, हाकिम सिंह पुत्रगण शेरसिंह, गजेन्द्र सिंह पुत्र दुर्जन सिंह, जीतू सिंह पुत्र हाकिम सिंह बुन्देला, नंदू पुत्र चतुर रावत ने उन्हें रोककर गोली मार दी। 

जगदीश ने इसकी सूचना घर आकर दी, तभी 5ः45 बजे के दरम्यान कमल सिंह ,जण्डैल सिंह, लक्ष्मन सिंह अपने-अपने हाथों में कट्टा तमंचा लिए दुर्जन सिंह, दीवान सिंह, हाकिम सिंह, गजेन्द्र सिंह, जीतू के साथ नन्दू रावत के साथ गाली-गलौज करते हुए उसके घर में घुस आए। उस समय वह और उसका भाई चंद्रभान भी घर में मौजूद थे। उन्हें पकड़कर घसीटकर घर के बाहर ले जाने लगे। कियी प्रकार चंद्रभान घर से भाग गया और चंद्रभान ने बताया कि हमलावर रूबी के बाल पकड़कर घसीटकर अपने साथ जंगल में ले गए हैं। 

पुलिस ने 24 जनवरी की रात जंगल में रूबी को ग्राम घोंटा के पास बरामद किया। रूबी घायल थी। इधर उसके भाई की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था जिसमें जांच के दौरान दो लोग नाबालिग पाए गए। इनका मामला जुवेनाइल कोर्ट में भेज दिया गया था। इस मामले में सभी आरोपियों की जमानत हो गई थी जिसमें साक्ष्यों के अभाव में हत्या के मामले में आरोपियों को बरी कर दिया। 

वहीं रूबी के अपहरण व घायल करने के मामले में आरोप सिद्ध होने पर न्यायाधीश उमेश कुमार सिरोही ने आरोपित लक्ष्मन सिंह, जण्डेल सिंह, सगे भाई दुर्जन सिंह, हाकिम सिंह, दीवान सिंह,व नंदू रातव को धारा 364 में आजीवन कारावास व 10-10 हजार रुपए अर्थदण्ड, अर्थदण्ड जमा न करने पर 10-10 माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 323 में 1-1 वर्ष का कारावास, धारा 307 में आजीवन कारावास और 10-10 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।  

इसके अलावा जण्डेल सिंह, लक्ष्मन सिंह को आयुध अधिनियम की धारा में 3-3 वर्ष का कारावास, 3-3 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। न्यायाधीश ने अर्थदण्ड की 50 प्रतिशत धनराशि पीडित पक्ष को देने के निर्देश जारी किए हैं।


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