लखनऊ:कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ा 88 गांवों का विकास, लोग यूं हो रहे परेशान

टीम भारत दीप |

ये गांव नगर निगम की सूची में हुए थे शामिल।
ये गांव नगर निगम की सूची में हुए थे शामिल।

लखनऊ नगर निगम की सीमा में शामिल 88 गांव का विकास लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से ठप पड़ गया। बताया गया कि इन गांवों में सड़क, बिजली, पानी और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था सुचारू रूप से करने के लिए शासन अलग मद मांगा गया था। लेकिन वह अभी तक नहीं मिल पाया है।

लखनऊ। कोरोना संक्रमण के कारण बिगड़ी व्यवस्था के बीच राजधानी लखनऊ के 88 गांव संक्रमण के कारण उपजी दुश्वारियों की भेंट चढ़ गए। दरअसल लखनऊ नगर निगम की सीमा में शामिल 88 गांव का विकास लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की वजह से ठप पड़ गया। बताया गया कि इन गांवों में सड़क, बिजली, पानी और स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था सुचारू रूप से करने के लिए शासन अलग मद मांगा गया था।

लेकिन वह अभी तक नहीं मिल पाया है। बताया गया कि इसके अलावा कुछ स्थानों पर नगर निगम खुद की पहल पर काम कराने वाला था। मगर वह भी पूरा नहीं हो पाया है। बताया गया कि कागजों पर यह गांव तो नगर निगम की सीमा में आ चुके है मगर अभी भी शहरों वाली सुविधाएं से यहां के लोग वंचित है। बताया गया कि यहां तक कि अभी उनका मकान नंबर भी नगर निगम की सूची में नहीं आ पाया है।

बताया गया कि नगर निगम ने यहां पहले चरण में हर गांव के हिसाब से 10 स्ट्रीट लाइट और 88 हाई मास्ट लगाने का प्रस्ताव तैयार किया था। मगर यह काम भी नहीं शुरू हो सका है। बताया गया कि इन गांवों में 20 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइट लगाने की जरूरत है। मगर फिलवक्त 880 भी नहीं मिल पा रहा है। बताया गया कि स्ट्रीट लाइटों के लिए छह करोड़ रुपए का बजट मांगा गया था।

बताया जा रहा है कि अभी तक वह भी नहीं मिल पाया है। बताया गया कि हर गांव में बड़े चौराहे पर एक हाईमास्ट लगाने की तैयारी थी। बताया गया कि स्ट्रीट लाइटों की देखभाल के लिए नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों के वेतन पर प्रतिवर्ष 2.33 करोड़ रुपए खर्च होना था।

इसके अतिरिक्त स्ट्रीट लाइट व हाईमास्ट की फिटिंग पर 3.75 करोड़ व बिजली के कनेक्शन पर 12 लाख रुपए खर्च होने का प्रस्ताव बना। मगर मामला प्रस्ताव से आगे नहीं बढ़ पाया।
बताया जा रहा है कि 88 गांव के लोगों की अलग परेशानी है। यहां के लोगों का कहना है कि अब वह लोग न शहर के रहे न पंचायत के। बताया गया कि ऐसे में कोई भी सुविधा उनको नहीं मिल रही है। 

ये गांव सूची में हुए थे शामिल, जिनका होना था वि​कास

जानकारी के मुताबिक जिन गांवों को नगर निगम की सूची में शामिल किया गया था।उनमें मौरा, जेहटा, सैंथा, अलीनगर, धैला, अल्लूनगर डिगुरिया, मुतक्कीपुर, रायपुर, नौबस्ता कलां, धावा, गणेशपुर रहमानपुर, सेमरा, उत्तरधौना, शाहपुर, सरायशेख, टेरा खास, निजामपुर मल्हौर, लौलाई, हासेमऊ, भरवारा (अवशेष), खरगापुर, भैसोरा, लानापुर, चन्दियामऊ, मकदूमपुर, मलेसेमऊ,

बाघामऊ, नरौना, सलेमपुर पतौरा, सिकरौरी, लालनगर, सराय प्रेमराज, महिपतमऊ, ककौली, हुसेड़िया (अवशेष), सरसवां, अरदौनामऊ, अहमामऊ, हरिहरपुर, मलाक, मुजफ्फरपुर घुसवल, यूसुफनगर उर्फ बगियामऊ, निजामपुर मझिगवां, देवामऊ, सेवई, घुसवल कलां, बरौली खलीलाबाद (अवशेष), कल्ली पश्चिम, अशरफनगर, रसूलपुर इठुरिया, बिजनौर, नटकुर, मीरानपुर पिवट,

अनौरा (अवशेष), कलिया खेड़ा, सदरौना, अमौसी (अवशेष), अलीनगर सुनहरा (अवशेष), सरोसा भरोसा, हसनपुर खेवली, अलीनगर खुर्द, बिरूरा, बरौना, नरहरपुर, तिवारीपुर, भिठौली खुर्द, मोहिद्दीनपुर, खरगपुर जागीर, सैदपुर जागीर, मिर्जापुर, सरूलपुर कायस्थ, अजनहर कलां, मिश्रपुर, गुडम्बा, बरखुरदारपुर,

अधारखेड़ा, बसहा, दसौली, मोहम्मदपुर मजरा, रसूलपुर सादात, गोयला, चक कजेहरा, माढ़रमऊ कलां, माढ़रमऊ खुर्द, सोनई कजेहरा, हरिकशगढ़ी, पुरसेनी, मस्तेमऊ के नाम शामिल हैं।


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