लखनऊ: रातभर पिता के इलाज के लिए एम्बुलेंस में चक्कर काटती रही बेटी,सुबह पिता की थम गई सांसें

टीम भारत दीप |

इस वक्त पूरा परिवार सदमे में है। वह किसी भी तरह की बात करने की स्थिति में नहीं है।
इस वक्त पूरा परिवार सदमे में है। वह किसी भी तरह की बात करने की स्थिति में नहीं है।

अमिता श्रीवास्तव के 80 वर्षीय पिता का बुखार के बाद ऑक्सीजन लेवल कम हो गया। बताया गया कि रातभर एंबुलेंस में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में चक्कर लगाते रहे। लेकिन न तो उन्हें बेड मिला और न ऑक्सीजन की ही व्यवस्था हो सकी। इसके बाद इलाज के आभाव सुबह उनके पिता की सांसें थम गई।

लखनऊ। देशभर में कोरोना को लेकर मचे हाहाकार के बीच मरीजों की जान आफत में है। इलाज के आभाव में दम तोड़ने वालों का आंकड़ा देख लोग भयाक्रांत है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भी बदहाल व्यवस्था व खोखले दांवों के बीच हालात बद् से बद्तर नजर आ रहे है।

कहीं आक्सीजन की किल्लत, तो कहीं बेड न उपलब्ध होने की शिकायतें लगातार सामने आ रही है। इस बीच बीती रात इलाज के लिए अपने पिता को एम्बुलेंस में लेकर चक्कर काटती बेटी को मायूसी हाथ लगी और पिता ने इलाज के आभाव में दम तोड़ दिया।

जानकारी के मुताबिक लखनऊ में एनआरआई और राजाजीपुरम निवासी अमिता श्रीवास्तव के 80 वर्षीय पिता का बुखार के बाद ऑक्सीजन लेवल कम हो गया। बताया गया कि रातभर एंबुलेंस में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में चक्कर लगाते रहे। लेकिन न तो उन्हें बेड मिला और न ऑक्सीजन की ही व्यवस्था हो सकी।

इसके बाद इलाज के आभाव सुबह उनके पिता की सांसें थम गई। बताया गया कि राजाजीपुरम निवासी अमिता श्रीवास्तव अमेरिका में रहती है। बीते माह वह अमेरिका से भारत आई थी। इसी दरम्यान उनके पिता अयोध्या प्रसाद श्रीवास्तव और भाई नवीन व हैप्पी श्रीवास्तव सहित पूरा परिवार बुखार और सीने की जकड़न से परेशान था।

बताया गया कि इस कारण उनके बुजुर्ग माता-पिता की हालत बहुत गंभीर हो गई। जिसके बाद अमिता ने लखनऊ के सभी अस्पताल में पता किया। मगर न तो कहीं बेड उपलब्ध था और न कहीं पर ऑक्सीजन सिलेंडर की ही व्यवस्था थी। बताया गया कि किसी तरह उन्होंने 45 हजार रुपये में ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदा।

वहीं 26 अप्रैल को उनके परिवार की कोविड 19 जांच संभव हो पाई। इसमें सभी लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इधर 27 अप्रैल को ऑक्सीजन सिलेंडर भी खत्म होने लगा। बताया गया कि ऑक्सीजन प्लांट के बाहर लाइन लगने के बावजूद उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिला। इस दरम्यान पिता की तबीयत बिगड़ने लगी।

बताया गया  कि उनका ऑक्सीजन स्तर गिरकर 50 पहुंच गया। वहीं 27 अप्रैल की रात एक प्राइवेट एंबुलेंस कर वह पूरी रात अपने पिता को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर चक्कर लगाती रहीं। मगर उन्हें कहीं पर बेड न मिला जिससे सुबह सूरज निकलते ही एंबुलेंस में ही उनके पिता की मौत हो गई।

पिता की मौत पश्चात उन्हें एम्बुलेंस का 50 हजार रुपये भुगतान भी करना पड़ा। बताया गया कि इस वक्त पूरा परिवार सदमे में है। वह किसी भी तरह की बात करने की स्थिति में नहीं है।


संबंधित खबरें