लखनऊ: जेल में बंदी की मौत के मामले में पीएम रिपोर्ट ने बदली कहानी, जानिए कैसे हुई मौत

टीम भारत दीप |

मृतक के घर वालों ने पुलिस और जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।
मृतक के घर वालों ने पुलिस और जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।

शव के पीएम के बाद जो कहानी आई है उसके अनुसार रूपेश के सिर में गहरा घाव था। यह चोट किसी भारी चीज से मारने से हुई थी। पैरों के तलवों में डंडे से इतना मारा गया था कि खून जम गया था। यह सभी चोट मौत से पहले की हैं। उसके गर्दन में कसाव का निशान तो था, लेकिन न तो कोई नस डैमेज हुई थी और न ही हड्डी टूटी मिली।

लखनऊ। प्रदेश सरकार विगत दो माह से खाकी की वजह से काफी असहज महसूस कर रही है। खाकी वाले लगातार कोई न कोई कारनामा करते रहते है। अब नया मामला लखनऊ जेल से सामने आया है।

यहां एक कैदी की मौत सोमवार रात को हो गई थी, जिसे जेल प्रशासन ने आत्महत्या बताया था, लेकिन उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने पुलिस की झूठ का पर्दाफाश कर दिया। पोस्टमॉर्टम में एंटीमोर्टम इंजरी पाई गई है।

उसका सिर फटा हुआ था और पैरों में डंडे से बेरहमी से पिटाई की गई थी। उसके परिजन भी जेल में हत्या का आरोप लगाकर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

12 अगस्त को जेल लाया गया था कैदी

आपकों बता दें कि सीतापुर के बिस्वा निवासी कैदी रूपेश कुमार (25) का शव सोमवार रात जेल की बैरक में मिला था। वह 12 अगस्त से लखनऊ जेल में बंद था। जेल प्रशासन ने दावा किया कि रूपेश ने फंदे से लटककर आत्महत्या की है।

जेल अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि उसके बैग से सुसाइड नोट मिला जिसमें लखनऊ के गोसाईगंज थाने की पुलिस पर डकैती के केस में झूठा फंसाने का आरोप लगाया है। पुलिस की कार्रवाई से आहत होकर उसने जान दे दी।

रिपोर्ट में यह आया सामने

शव के पीएम के बाद जो कहानी आई है उसके अनुसार रूपेश के सिर में गहरा घाव था। यह चोट किसी भारी चीज से मारने से हुई थी। पैरों के तलवों में डंडे से इतना मारा गया था कि खून जम गया था। यह सभी चोट मौत से पहले की हैं।

उसके गर्दन में कसाव का निशान तो था, लेकिन न तो कोई नस डैमेज हुई थी और न ही हड्डी टूटी मिली। इससे इसकी संभावना बढ़ जाती है कि पिटाई से मौत के बाद शव को लटकाया गया हो।

परिजनों ने यह आरोप लगाया

आपकों बता दें कि बुधवार को बेटे का शव लेने आए परिजन लखनऊ पहुंचे। इस दौरान मृतक के घर वालों ने पुलिस और जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। मृतक रूपेश के भाई राकेश ने कहा कि बेगुनाह भाई को पुलिस ने केस में झूठा फंसाया।

हम उसे छुड़ाने के लिए रात दिन पैरवी कर रहे। इस बीच जेल में उसकी हत्या कर दी गई। राकेश ने बताया कि रूपेश को जिन चार अन्य आरोपियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, वह पहले से उसकी जान के दुश्मन थे। बावजूद इसके जेल में उसे उन्हीं के साथ एक ही बैरक में रखा गया था।

रूपेश की मौत के बाद जेल प्रशासन की हड़बड़ी ने पहले ही उसे संदेह के दायरे में खड़ा कर दिया था। जेल में आत्महत्या के मामलों में अमूमन एक रिपोर्ट मुख्यालय को भेजकर जिम्मेदार खामोश हो जाते हैं। लेकिन, इस घटना के बाद जेल अधीक्षक ने तत्काल न्यायिक जांच की सिफारिश कर दी।

अब लखनऊ पुलिस में सुगबुगाहट होने लगी है कि जेल में कैदी की हत्या के बाद पुलिस को फंसाने के लिए सुसाइड नोट लिखा गया। हालांकि नोट रूपेश ने ही लिखा था या लिखकर उसके बैग में रखा गया, यह पता लगाने के लिए नोट को हैंडराइटिंग मिलान के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया है।

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